सोशल मीडिया भी आचार संहिता के दायरे में
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : अब सोशल मीडिया पर सामग्री पोस्ट करने से पहले किसी भी राजनीतिक दल और प्रत्याशी को सौ बार सोचना होगा। भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को भेजे एक पत्र में कहा है, "चुनाव में पारदर्शिता और बराबरी के मुकाबले को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया पर नियंत्रण की ज़रूरत है." यानी पोस्ट की जाने वाली सामग्री चुनाव आचार संहिता के दायरे में आएगी।
इस पत्र के मुताबिक, उम्मीदवारों को फॉर्म 26 में अपने टेलीफोन नंबरों और ईमेल आईडी के अलावा सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी जानकारी देनी होगी। सोशल मीडिया के दायरे में विकीपीडिया, टि्वटर, यू ट्यूब, फेसबुक और इस तरह की अन्य इंटरनेट साइटों के अलावा एप्स को भी रखा गया है।
आयोग ने अपने पत्र में कहा कि उम्मीदवार और राजनीतिक दल संबंधित अधिकारियों से प्रमाणन के बिना अपनी चुनाव प्रचार सामग्री सोशल मीडिया साइटों समेत इंटरनेट पर नहीं डाल सकेंगे। उसने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया समेत इंटरनेट पर चुनाव प्रचार में होने वाले खर्च को उम्मीदवार के व्यय में डाला जाएगा। पत्र में उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को आगाह किया गया कि वे सोशल मीडिया समेत इंटरनेट के जरिए प्रचार पर होने वाले खर्च को अपने व्यय के हिसाब-किताब में शामिल करें।
इसमें इंटरनेट कंपनियों और वेबसाइटों को विज्ञापन के लिए दिया जाने वाला धन, प्रचार सामग्री के निर्माण का खर्च और सोशल मीडिया अकाउंटों को चलाने के लिए रखे गए कर्मचारियों की तनख्वाह भी शामिल होनी चाहिए। आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधान सोशल मीडिया समेत इंटरनेट पर भी लागू होंगे। उसे यह शिकायत मिली है कि उम्मीदवार और राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंटों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मुद्दे से व्यावहारिक ढंग से निपटने के लिए वह संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ विचार विमर्श कर रहा है।