आजाद भारत में पहली बार जनगणना-2021 में अलग से जुटाए जाएंगे ओबीसी के आंकड़े
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश अगली जनगणना जल्द ही शुरू करेगा। आजादी के बाद 2021 में होने वाली अगली जनगणना में पहली बार अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के आंकड़े भी अलग से जुटाए जाएंगे। मोदी सरकार का यह कदम 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अधिकारियों के साथ 16वीं दस वर्षीय जनगणना की योजना को लेकर विचार-विमर्श किया। जनगणना देश में सबसे बड़ी प्रशासनिक कवायद होती है जिसमें इस बार 25 लाख गणनाकारों को जनगणना कार्य में लगाया जाएगा। इसके अलावा भौगोलिक संदर्भ जुटाने के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा।
देश में 1931 की जनगणना में आखिरी बार एकत्रित किए गए जातिगत आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई मंडल आयोग की सिफारिशों पर तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन की एक शाखा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने 2006 में देश की आबादी पर नमूना सर्वेक्षण रिपोर्ट की घोषणा की और कहा कि देश में ओबीसी आबादी कुल आबादी की करीब 41 फीसदी है। एनएसएसओ ने ग्रामीण इलाकों में 79,306 परिवारों और शहरी इलाकों में 45,374 परिवारों की गणना की।
पिछली बार जनगणना 2010 में हुई थी और इसके प्रारंभिक आंकड़े 2011 में सार्वजनिक किए गए थे। पिछली जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 1.21 अरब थी। भारत में पहली जनगणना 1872 में हुई थी। बयान में कहा गया कि राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना करवाने की योजना को लेकर विचार विमर्श किया और पहली बार ओबीसी के आंकड़ों का संकलन करने पर विचार किया गया।