आखिरकार 'अटल मौत' से हारे 93 साल के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी, एक युग का हुआ अंत
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को कविता के रूप में गढ़ने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आखिरकार अटल मौत से हार गए। एम्स के मीडिया एंड प्रोटोकॉल डिवीजन की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में दी गई जानकारी के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुरुवार शाम 5.05 बजे अंतिम सांस ली। 93 साल के वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था।
केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। सरकार की ओर से कहा गया है कि देश भर में सात दिन तक राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार 17 अगस्त की शाम 4.00 बजे दिल्ली में राजघाट के नजदीक राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर होगा।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एम्स पहुंचकर अटल जी के सेहत की जानकारी ली थी। इस दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह समेत पार्टी के कई दिग्गज नेता काफी देर से एम्स में ही मौजूद थे। गुरुवार को सबसे पहले उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू वाजपेयी (93) का हालचाल जानने के लिए एम्स पहुंचे। नायडू सुबह 6.30 बजे एम्स पहुंचे जबकि अमित शाह सुबह 8.30 बजे पहुंचे। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा भी पहुंचे हैं। इससे पहले एम्स की ओर से बुधवार देर रात जारी बयान में कहा गया था कि अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बीते 24 घंटों में और खराब हुई है। उनकी हालत नाजुक है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। उनका एम्स में डॉ. रणदीप गुलेरिया की निगरानी में इलाज चल रहा था, जो एम्स के निदेशक भी हैं।
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विपक्षी दलों के नेताओं में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवल, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने भी एम्स पहुंच अटल का हालचाल लिया था। इसके अलावा ममता बनर्जी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी दिल्ली पहुंच रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का आज जन्मदिन है और ऐसे में उन्होंने भी अपने समर्थकों से अपील की है कि वे कोई जश्न ना मनाएं और ना ही उन्हें बधाई देने सीएम आवास आएं।
वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण जैसी परेशानियों की वजह से 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। डायबिटीज के शिकार 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम कर रहा था। 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था जिसके बाद उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो गई थी। बाद में वह डिमेंशिया से भी पीड़ित हो गए थे। जैसे-जैसे उनकी सेहत गिरती गई, उन्होंने खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर कर लिया था।
वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री रहे। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीनों तक चली थी। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वाजपेयी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी 1947 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक प्रचारक बने। वाजपेयी कुल 47 साल तक संसद के सदस्य रहे। वह 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए। भाषाओं, विचारधाराओं और संस्कृतियों के भेद से परे एक कद्दावर और यथार्थवादी करिश्माई राजनेता, वाजपेयी एक प्रबुद्ध वक्ता और शांति के उपासक होने के साथ-साथ हरदिल अजीज और मंझे हुए राजनीतिज्ञ थे।
जनसंघ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री के तौर पर देश का नेतृत्व कर चुके हैं। कुशल राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह हिंदी के प्रखर कवि, वक्ता और पत्रकार भी रहे हैं। वह 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे वाजपेयी आजीवन अविवाहित रहे। उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या और दामाद रंजन भट्टाचार्या हैं।
मुझे अटलजी बहुत याद आएंगे : आडवाणी
दशकों तक वाजपेयी के साथ रहे संघ के समय के साथी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें याद करते हुए अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। आडवाणी ने कहा, 'आज मेरे पास अपने दुख को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। भारत के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी को हमने खो दिया है। मेरे लिए, अटलजी एक वरिष्ठ साथी से भी बढ़कर थे- वास्तव में वह 65 साल से भी ज्यादा समय तक मेरे सबसे करीबी मित्र रहे। पूर्व उपप्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'मैंने उनके (वाजपेयी) साथ लंबे जुड़ाव की यादें संजोकर रखी हैं- RSS के प्रचारक के तौर पर हमारे दिनों से, भारतीय जनसंघ की स्थापना, आपातकाल के दौरान हमारा संघर्ष, आगे जनता पार्टी का बनना और बाद में 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना तक।' उन्होंने कहा कि अटलजी पहली बार केंद्र में गठबंधन की स्थिर और गैरकांग्रेसी सरकार देने वाले नेता के तौर पर याद किए जाएंगे और उस समय 6 वर्षों तक मुझे उनके डिप्युटी के तौर पर काम करने का मौका मिला। आडवाणी ने कहा, 'मेरे सीनियर के तौर पर उन्होंने हमेशा हरसंभव तरीके से मुझे प्रोत्साहित और गाइड किया।' आडवाणी ने कहा कि उनकी नेतृत्व क्षमता, भाषण देने की कला, देशभक्ति का जज्बा और सबसे बढ़कर उनके मानवीय गुण जैसे करुणा, नम्रता और विचारधारा को लेकर मतभेदों के बावजूद प्रतिद्वंद्वियों को जीतने की उनकी शानदार क्षमता का मेरे सार्वजनिक जीवन में गहरा प्रभाव पड़ा। आखिर में उन्होंने कहा, 'मुझे अटलजी बहुत याद आएंगे।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया 'युग का अंत'
वाजपेयी के निधन के तुरंत बाद पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।' उन्होंने लिखा कि अटल जी की प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर बीजेपी कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। पीएम मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की दो पंक्तियां भी ट्वीट कीं।
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी वाजपेयी के निधन पर शोक जताते हुए लिखा, 'पूर्व प्रधानमंत्री व भारतीय राजनीति की महान विभूति अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान से मुझे बहुत दुख हुआ है। विलक्षण नेतृत्व, दूरदर्शिता तथा अद्भुत भाषण उन्हें एक विशाल व्यक्तित्व प्रदान करते थे। उनका विराट व स्नेहिल व्यक्तित्व हमारी स्मृतियों में बसा रहेगा।' उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धाजंलि देते हुए कहा, 'भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व, वक्तृत्व, कृतत्व, मित्रृत्व के गुण उनके नेतृत्व में समाहित थे जो लंबे समय तक याद किए जाएंगे।' इससे पहले नायडू ने लिखा, 'वह असली आजादशत्रु थे, जो समाज के सभी वर्गों के साथ रहे। वह पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जो एक स्थिर सरकार दे सके। उन्होंने सिद्धांतों की राजनीति की और राजनीति में मूल्यों को स्थापित किया।'
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'आज भारत ने अपना एक महान बेटा खोया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी करोड़ों भारतीयों के सम्माननीय थे।' राहुल ने वाजपेयी के परिवार और प्रशंसकों प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी उन्हें हमेशा याद करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर एक ब्लॉग लिखते हुए पुरानी यादों को ताजा किया। उन्होंने लिखा, 'जीवन में अटल बिहारी वाजपेयी ने न कुछ जोड़ा, न घटाया। सिर्फ दिया, वह भी निस्पृह हाथों से।'