थरूर के विवादित बोल पर गरजे गिरिराज, कहा- ये पाकिस्तान होता तो जुबान चुप करा दी गई होती
सत्ता विमर्श ब्यूरो
पटना/नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर नरेंद्र मोदी पर विवादित बोल से एक बार फिर से चर्चा में हैं। पीएम मोदी पर थरूर द्वारा की गई इस विवादित टिप्पणी के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पलटवार करते हुए कहा है कि थरुर ने पीएम मोदी पर टिप्पणी कर उनका नहीं, भगवान शिव और करोड़ों हिंदुओं का अपमान किया है।
रविवार को थरूर के बयान पर कटाक्ष करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर यह पाकिस्तान होता तो अब तक उनकी जुबान चुप करा दी गई होती। थरूर ने अपने बयान में पीएम पर टिप्पणी कर उनका अपमान नहीं बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था और भगवान शिव का अपमान किया है। गिरिराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस के नेता बौखला गए हैं और पार्टी ने अब भाषा की हद को पार कर दिया है।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि खुद को 'शिवभक्त' कहने वाले राहुल गांधी को थरूर की इस टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। प्रसाद ने कहा, 'एक तरफ राहुल गांधी खुद को शिवभक्त होने का दावा करते हैं, दूसरी तरफ उनके छोटे नेता चप्पल से हमले का जिक्र कर एक तरह से शिवलिंग की पवित्रता और भगवान महादेव का अपमान करते हैं।' कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग करते हुए प्रसाद ने कहा, 'राहुल गांधी, आप खुद को शिव भक्त बताते हैं, थरूर के भगवान महादेव की इस काफी भयावह निंदा के जवाब में माफी मांगिए।'
मालूम हो कि बेंगलुरु लिट् फेस्ट में हिस्सा लेने गए शशि थरूर ने अपनी नई किताब 'द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर' से कुछ पन्ने पढ़ने के दौरान कहा, 'एक असाधारण रूपक है जिसका जिक्र आरएसएस के अनाम सूत्र ने एक जर्नलिस्ट से किया था। मैंने उसका संदर्भ अपनी किताब में दिया है।' थरूर ने कहा, 'उसने कहा था कि मोदी शिवलिंग पर बैठे उस बिच्छू की तरह हैं, जिसे आप हाथ से हटा नहीं सकते और चप्पल से मार भी नहीं सकते।'
इससे पहले इसी साल अगस्त में थरूर ने कहा था कि 2019 में भाजपा जीती तो भारत 'हिंदू पाकिस्तान' बन जाएगा। तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम में थरूर ने कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतती है तो वह 'हिंदू पाकिस्तान' बनने जैसे हालात पैदा करेगी। उन्होंने कहा था कि भाजपा नया संविधान लिखेगी जो भारत को पाकिस्तान जैसे मुल्क में बदलने का रास्ता साफ करेगा, जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों का कोई सम्मान नहीं होगा।