राष्ट्रपति कोविंद की मंजूरी के बाद जम्मू-कश्मीर में लगा राज्यपाल शासन
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को आए सियासी संकट के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तत्काल प्रभाव से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने को मंजूरी दे दी है। वहीं जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने सीमा सुरक्षा की समीक्षा को लेकर एक बैठक बुलाई है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से गठबंधन तोड़ सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद वहां सियासी संकट के हालात पैदा हो गये थे। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी ने लगे हाथ राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर दी। इसके बाद ये कयास तेज हो गये थे कि जल्द ही राज्य में राज्यपाल का शासन लागू हो जाएगा। बता दें कि जम्मू- कश्मीर में छह साल का कार्यकाल होता है और वहां पर राष्ट्रपति के बदले राज्यपाल शासन लागू होता है।
कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी की सरकार गिरनने के बाद किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा नहीं पेश किया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी। वहीं पीडीपी भी रेस में नहीं थी। कांग्रेस ने पहले ही कह दिया कि पीडीपी के साथ जाने का कोई सवाल ही नहीं है। ज़ाहिर है सिर्फ़ एक मात्र विकल्प राष्ट्रपति शासन बचता था। इस बीच जम्मू कश्मीर के गवर्नर ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी थी। उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की थी।
गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर की 87-सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2014 में 25 नवंबर और 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव करवाए गए थे, जिनमें तत्कालीन सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार हुई, और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार चला रही पार्टी को सिर्फ 15 सीटों से संतोष करना पड़ा। दूसरी ओर, वर्ष 2008 में सिर्फ 11 सीटों पर जीती BJP ने इस बार 'मोदी लहर' में 25 सीटें जीतीं, और 52 दिन के गवर्नर शासन के बाद पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की PDP को समर्थन देकर सरकार बनवा दी।
1 मार्च, 2015 को सत्तासीन हुए सईद की जनवरी, 2016 में मृत्यु के कारण सरकार फिर संकट में आ गई, और राज्य में एक बार फिर गवर्नर शासन लगाना पड़ा। इस बार 88 दिन तक गवर्नर शासन लगा रहने के बाद सईद की पुत्री महबूबा मुफ्ती को समर्थन देकर BJP ने फिर सरकार बनवाई, जो मंगलवार को समर्थन वापसी के ऐलान के साथ ही गिर गई है।