नरेंद्र मोदी के 'बाबूभाई' ने भाजपा को दी शिकस्त, 5वीं बार राज्यसभा का चुनाव जीते अहमद पटेल
प्रवीण कुमार/सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/अहमदाबाद : भाजपा की ओर से बिछाई गई राजनीतिक बिसात से पार पाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और नरेंद्र मोदी के बाबूभाई अहमद पटेल राज्यसभा का चुनाव जीत गए हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी इन चुनावों में जीत हासिल कर पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया है। उनके साथ मौजूदा राज्यसभा सदस्य तथा सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने भी अपनी जगह बरकरार रखी है। अधिकारी के अनुसार दोनों को 46-46 वोट मिले हैं।
चुनाव आयोग के फैसले का जहां कांग्रेस ने स्वागत किया, वहीं भाजपा ने इस पर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा कि अहमद पटेल को सिर्फ आधा चुनाव से जीत मिली है। अहमद पटेल को 61 वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 44 वोट वोट मिले। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हम कानून का दरवाजा खटखटाएंगे।
इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर ने अहमद पटेल के जीत की औपचारिक घोषणा की। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा, 'कांग्रेस के अहमद पटेल को 44 वोट मिले। वहीं भाजपा के अमित शाह को 46 और स्मृति ईरानी को भी 46 वोट मिले।' भाजपा के तीसरे उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत को 38 वोट मिले। अहमद पटेल की जीत की घोषणा कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर पेज से की है।
इस जीत के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में अहमद पटेल ने ट्वीट किया है, 'सत्यमेव जयते'। अपने अगले ट्वीट में अहमद पटेल ने लिखा है, 'यह सिर्फ मेरी जीत नहीं है। यह धनबल, बाहुबल और राज्य सरकार की मशीनरी के दुरुपयोग की करारी हार है।' पत्रकारों से बातचीत में अहमद पटेल ने कहा, 'मैं हर एक विधायक को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने धमकी और भाजपा के दबाव के बावजूद मेरे लिए वोट डाले।'
आयोग के इस आदेश से रद्द हुए कांग्रेस के 2 वोट
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में बताया, 'ये केस चुनाव संचालन नियम, 1961 के रूल 39A और रूल 39AA के तहत आता है। इन दोनों नियमों के मुताबिक, राज्यसभा चुनाव में वोट करने वाले वोटर को अपना बैलेट पेपर बैलेट बॉक्स में डालने से पहले अपनी पार्टी के प्रतिनिधित्व को दिखाना होता है। ये नियम साफ तौर पर कहता है कि वोटर सिर्फ अपनी पार्टी के प्रतिनिधित्व को ही बैलेट पेपर दिखा सकता है, किसी और को नहीं। विधानसभा के निर्दलीय सदस्यों को ये अधिकार है कि वो किसी को भी अपना बैलेट पेपर न दिखाए।' आयोग ने अपने आदेश में आगे लिखा, 'कमीशन को रिटर्निंग ऑफिसर की तरफ से दोनों विधायकों की वोटिंग के वीडियो का हिस्सा भेजा गया। आयोग ने दोनों विधायकों की वीडियो रिकॉर्डिंग देखी और ये पाया कि दोनों विधायकों ने वोटिंग प्रक्रिया और बैलेट पेपर की गोपनीयता का उल्लंघन किया।'आयोग ने अपने आदेश में लिखा, 'संवैधानिक, कानूनी और तथ्यात्मक स्थिति को देखते हुए संविधान के अनुच्छेद 324, जनप्रतिनिधित्व एक्ट,1951 की धारा 66 और चुनाव संचालन नियम,1961 के तहत रिटर्निंग ऑफिसर को विधायक भोला भाई गोहिल और राघवजी भाई पटेल के वोट रद्द करने होंगे।' मालूम हो कि कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि दोनों विधायकों ने अपना बैलेट पेपर वहां मौजूद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को दिखाए थे। इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग में जो शिकायत की थी, आयोग ने उस पर कार्रवाई की। गुजरात के गांधीनगर में मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर से वोटिंग के दौरान का वीडियो मंगाया गया। इसके बाद आयोग ने वीडियो देखकर नियमों के तहत फैसला सुनाया और दोनों विधायकों के वोट रद्द कर दिए।
गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला निराश करने वाला है। वीडियो को सार्वजनिक किया जाए। वीडियो को सार्वजनिक करने के बाद हम ही नहीं पूरा देश कहेगा कि फैसला गलत है। भाजपा ने कहा कि जो वीडियो वायरल हुआ है उसकी जांच की जाए। नितिन पटेल ने कहा कि जब विधायक ने शक्ति सिंह गोहिल को अपना वोट दिखाया तो वो नाराज हो गए। उन्होंने बैलेट पेपर छीनने की भी कोशिश की। हमारे पोलिंग एजेंट ने तुरंत इस मसले को उठाया लेकिन हमने सोचा कि चुनाव आयोग को इस पर फैसला करना है। अगर जरूरत पड़ी तो हम कानूनी मदद भी लेंगे। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने चुनाव आयोग के फैसले को लोकतंत्र की बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा। अहमद पटेल की जीत काफी बड़ी है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा द्वारा पूरी ताकत लगाने के बाद भी सच की जीत हुई है। कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि हम न्याय की लड़ाई लड़ी है।
कभी दोस्त हुआ करते थे पीएम मोदी और अहमद पटेल
अहमद पटेल के एक इंटरव्यू के मुताबिक, मोदी और उनकी मुलाकात साल 1980 में पहली बार हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जानकारी में दोनों नेताओं की ये मुलाकात हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कांग्रेस के नेता अहमद पटेल का पुराना रिश्ता रहा है। मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अहमद पटेल कभी उनके खास दोस्तों में शामिल थे। दोनों का एक-दूसरे के घर आना जाना था। वे प्यार से उन्हें 'बाबू भाई' कहकर बुलाते थे। अहमद पटेल को कांग्रेस का क्राइसिस मैनेजर कहा जाता है। वे लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़े हैं। गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर में पैदा हुए अहमद पटेल तीन बार लोकसभा और चार बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। उन्होंने साल 1977 में भरूच से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें वे 62,879 वोटों से जीते थे। इसके बाद साल 1980 में उन्होंने फिर इसी सीट से चुनाव लड़ा और इस बार वे 82,844 वोटों से जीते। इसके बाद तीसरी बार साल 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 1,23,069 वोटों से जीत दर्ज की थी। साल 1993 से अहमद पटेल राज्यसभा सांसद हैं। इसके अलावा 1977 से 1982 तक पटेल गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। 1949 में पैदा हुए अहमद पटेल के पिता भी कांग्रेस में थे। कहा जा सकता है कि राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। हालांकि उनके बच्चे राजनीति से काफी दूर हैं। 1976 में मेमूना अहमद से शादी के बाद दोनों के दो बच्चे (एक बेटा और एक बेटी) हैं। कहा जाता है कि अहमद पटेल टीवी देखने के बजाए समाचारों के लिए अखबार पढ़ना पसंद करते हैं। वे घर के अलावा कहीं बाहर नहीं खाते हैं। दुनियावी चकाचौंध से दूर रहने वाले अहमद पटेल हवाई सफर के बजाए ट्रेन में सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं।