प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में किया ये बड़ा खुलासा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब 'द कोलिशन ईयर्स' के जरिए एक ऐसा बड़ा खुलासा किया है। प्रणब दा ने अपनी किताब के जरिए कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सीताराम केसरी ने साल 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल की संयुक्त मोर्चा की सरकार को अस्थिर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। प्रणब ने इसकी वजह सीताराम केसरी के खुद के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा बताया है।
कांग्रेस ने जैन कमीशन की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद आईके गुजराल की सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की। जैन कमीशन की रिपोर्ट ने सलाह दी थी कि डीएमके और इसका नेतृत्व लिट्टे नेता वी. प्रभाकरन और उसके समर्थकों को बढ़ावा देने में शामिल था। कांग्रेस गुजराल सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी। ऐसे में कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस क्यों लिया? तब केसरी द्वारा बार-बार दोहराने वाली लाइन मेरे पास वक्त नहीं है का क्या मतलब था?
बहुत सारे कांग्रेसी यह अनुमान लगाते हैं कि इसका आशय उनके प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा से था। मुखर्जी कहते हैं उन्होंने भाजपा विरोधी भावनाओं का लाभ उठाने की कोशिश की। उन्होंने गैर भाजपा सरकार का स्वयं के नेतृत्व के लिए प्रयास किया। शुक्रवार को दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नई किताब 'गठबंधन के वर्ष 1996-2012' के विमोचन के मौके पर मनमोहन सिंह ने कहा, 'सोनिया गांधी ने 2004 में मुझे प्रधानमंत्री बनने के लिए चुना था, तब प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए हर लिहाज से श्रेष्ठ थे, लेकिन वह (मुखर्जी) जानते थे कि मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता था।'
कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी भी मौजूद थे। पूर्व प्रधानमंत्री ने जब यह बात कही तो सोनिया गांधी मुस्कुरा दीं। मनमोहन ने कहा, 'प्रणब मुखर्जी अपनी पसंद से राजनीति में आए थे और मैं संयोग से। मुझे पीवी नरसिंह राव संयोग से राजनीति में लाए और उन्होंने मुझे वित्त मंत्री बनने को कहा। मुखर्जी व एनसीपी नेता शरद पवार मेरी सरकार के वरिष्ठ मंत्री थे और दोनों बड़े क्षमतावान थे। यदि यूपीए सरकार आसानी से चल पाई तो उसका बड़ा श्रेय प्रणब मुखर्जी को जाता है। जब भी पार्टी या सरकार के सामने कोई समस्या आती थी तो मुखर्जी का अनुभव और समझदारी सबसे ज्यादा मददगार होती थी।