लंकेश की हत्या का HC ने किया जिक्र, कहा- उदारवादी मूल्यों का सफाया खतरनाक
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई: बांबे हाईकोर्ट ने देश में उदारवादी मूल्यों के पैरोकारों की एक के बाद एक हो रही हत्या को गंभीर माना है। कोर्ट का कहना है कि ये चलन देश के लिए खतरनाक है और इससे हमारी छवि भी खराब हो रही है। यहां कोर्ट ने कर्नाटक की वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का जिक्र किया। कहा- विपक्षी और उदारवादी मूल्यों का सफाया एक खतरनाक प्रवृति है और इससे देश की छवि खराब हो रही है। बांबे हाई कोर्ट ने दाबोलकर और पंसारे के परिजनों की अपील पर सुनवाई के दौरान ये कहा।
जस्टिस एससी धर्माधिकारी व डी भारती की पीठ गुरुवार को उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मांग की गई थी कि दोनों मामलों की जांच की निगरानी अदालत खुद करे।
पीठ ने कहा कि उदारवादी विचारधारा से जुड़े न केवल विचारकों बल्कि संस्थाओं को भी निशाना बनाया जा रहा है। पीठ ने कहा कि- ये उसी तरह से है कि जैसे कोई मेरे विरोध में है तो मुझे उसे नेस्तनाबूद कर देना चाहिए। गोविंद पंसारे, नरेंद्र दाबोलकर की हत्या के मामले में जांच एजेंसियों ने रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी है।
उल्लेखनीय है कि दाबोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को पुणे में हुई थी। उसकी जांच सीबीआई कर रही है जबकि पंसारे को 16 फरवरी 2015 को निशाना बनाया गया। उनका केस महाराष्ट्र सीआईडी के पास है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट पर अदालत ने संतोष जताते हुए कहा कि विवेचना के दौरान हर पहलू को खंगाला गया है, लेकिन सीबीआई व पुलिस को अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लेकर आरोपियों को गिरफ्तार करना चाहिए।
दाबोलकर की हत्या के मामले में सारंग अकोलकर व विजय पंवार को नामजद किया गया है, लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चल सका है। अदालत ने माना कि एजेंसियों ने मेहनत तो की पर आरोपियों के काबू न होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
पीठ ने टिप्पणी की कि केस के अंतराल में ही किसी दूसरे उदारवादी को निशाना बना लिया जाता है। एजेंसियों को अपनी जांच के तरीकों में बदलाव करके आरोपियों तक पहुंच बनानी होगी, नहीं तो इस तरह के तत्वों का हौसला बढ़ता रहेगा और उदारवादी लगातार उनका निशाना बनते रहेंगे।