मेरे नाम के साथ 'गांधी' नहीं लगा होता तो 29 की उम्र में सांसद नहीं बनता : वरुण गांधी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
गुवाहाटी : भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि अगर निर्वाचित प्रतिनिधि अच्छा काम नहीं करते हैं तो उन्हें चुनने वाले लोगों लोगों को वापस बुलाने का अधिकार भी मिलना चाहिए। शुक्रवार को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में वरुण गांधी ने कहा कि गैर राजनीतिक परिवारों के लोगों को प्रतिभा के आधार पर राजनीति में आना चाहिए, न कि जाति और धर्म के मुद्दों पर।
उन्होंने कहा, चुनाव जीतना कठिन नहीं है। लोगों को राइट टू रिकॉल मिलना चाहिए और मैं इस विधेयक को निजी विधेयक के तौर पर संसद में पेश करूंगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग अपने प्रतिनिधियों से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में उन्हें हटा सकें। भाजपा नेता ने कहा कि याचिका व्यवस्था के मार्फत इसे किया जा सकता है।
ब्रिटेन में मतदाता सरकार को सामूहिक याचिका सौंपकर और अगर एक लाख से ज़्यादा हस्ताक्षर मिलते हैं तो संसद में निर्वाचित प्रतिनिधि की जवाबदेही पर चर्चा की शुरुआत की जा सकती है। वरुण ने कहा कि हाल में उनके संसदीय क्षेत्र में ज़िला परिषद् के चुनाव हुए और उन्होंने सुनिश्चित किया कि प्रतिभावान लोगों को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए और उनमें से अधिकतर ने जीत हासिल की।
उन्होंने कहा कि अगर वह गांधी नहीं होते तो 29 साल की उम्र में लोकसभा सांसद बनने का मौका नहीं मिलता। इस तरह की संस्कृति व्यवसाय, क्रिकेट और फिल्मों में भी है और इसे ख़त्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि हिंदुस्तान का सर्वांगीण स्वरूप उभरे जहां सभी को समानता और अवसर का लाभ मिले।
भाजपा के युवा सांसद ने कहा कि वह सांसदों का वेतन लगातार बढ़ने के खिलाफ हैं जो सांसद खुद ही बढ़ा लेते हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों को खुद से अपना वेतन नहीं बढ़ाना चाहिए। वरुण ने कहा कि सांसद के रूप में वह अपना वेतन नहीं लेते और लोकसभा अध्यक्ष से कहा है कि वह इसे किसी गैर सरकारी संगठन या ज़रूरतमंद को दे दें। वरुण ने कहा कि सरकारी योजनाओं में लोगों का हस्तक्षेप होना चाहिए और जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी जरूरी है जिससे भ्रष्टाचार स्वत: कम हो जाएगा।