सुरेश प्रभु का इस्तीफा मंजूर हुआ तो PM मोदी किसे बनाएंगे रेल मंत्री?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं की पूरी नैतिक जिम्मेदारी ली। उन्होंने इस्तीफे की पेशकश के भी संकेत दिए। प्रभु ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण हादसों, यात्रियों के घायल होने और बेशकीमती जानों के जाने से मैं बेहद दुखी हूं। प्रभु ने ट्वीट किया, ‘मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला और पूर्ण नैतिक जिम्मेदारी ली। माननीय प्रधानमंत्री ने मुझसे अभी इंतजार करने को कहा।’
सुरेश प्रभु के इस्तीफे की पेशकश के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस राजनीतिक हस्ती को रेल मंत्री की जिम्मेदारी सौंपते हैं। क्योंकि अधिकतर मौकों पर इस पद पर बड़े राजनीतिक कद के व्यक्ति ही रहे हैं। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी, रामविलास पासवान और इससे पहले जॉन मथाई, लाल बहादुर शास्त्री, गुलजारी लाल नंदा, कमलापति त्रिपाठी, जार्ज फर्नाडीस, माधवराव सिंधिया व सीके जाफर शरीफ जैसे कद्दावर नेता रेल मंत्री रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चर्चा में जो नाम है उसमें सबसे पहला नाम नितिन गडकरी का आ रहा है। सूत्रों की मानें तो सुरेश प्रभु के इस्तीफे के बाद नितिन गडकरी को रेल मंत्रालय का जिम्मा दिया जा सकता है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के बेहतर काम को देखते हुए मोदी यह फैसला ले सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि रेल मंत्रालय की जगह पीएम मोदी सुपर ट्रांसपोर्ट मंत्रालय बना सकते हैं जिसमें भूतल परिवहन भी शामिल।
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के नाम की भी चर्चा है। संचार मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार के रूप में उनके कामकाज से प्रधानमंत्री काफी खुश बताये जाते हैं। कॉल ड्राप का मुद्दा गरमाने पर उन्हें रविशंकर प्रसाद की जगह इस मंत्रालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेकर आये थे। माना जा रहा है कि यह इंतजार जल्द होने वाले कैबिनेट विस्तार से जुड़ा है, जिसमें नए मंत्रियों को शामिल किया जाना है। सुरेश प्रभु को मोदी सरकार कैबिनेट विस्तार तक रेलमंत्री के पद पर बनाए रख सकती है।
उन्होंने कहा कि बतौर रेल मंत्री करीब तीन साल के दौरान उन्होंने अपना खून-पसीना रेलवे को दिया है। उन्होंने ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सभी क्षेत्रों में व्यवस्थित सुधारों के जरिये दो दशक से उपेक्षा झेल रहे रेलवे को उबारने की कोशिश की। इससे सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व निवेश हुआ और कई मील के पत्थर स्थापित हुए।
सुरेश प्रभु मूल रूप से चार्टर्ड एकाउंटेंट रहे हैं और पहले शिवसेना में थे। प्रधानमंत्री ने उन्हें शिवसेना से असहमतियों के बीच अपनी पार्टी के कोटे से 10 नवंबर 2014 को रेल मंत्री बनाया था और राज्यसभा में भेजा था। दरअसल सुरेश प्रभु ने वाजपेयी सरकार में बिजली मंत्री के रूप में शानदार कामकाज किया था और उनका रेल मंत्री बनाया जाना उनकी इसी पिछली उपलब्धि का परिणाम था। जब वे रेल मंत्रालय में लाये गये तो उनसे बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी थीं कि वे रेलवे में सुरक्षा और संरक्षा के साथ उसका आधुनिकीकरण भी करेंगे। आधुनिकीकरण के मुद्दे पर सुरेश प्रभु बहुत एक हद तक कामयाब रहे, लेकिन सुरक्षा एवं संरक्षा के मुद्दे पर उनका प्रदर्शन बहुत शानदार नहीं रहा है।
पिछले पांच दिनों में एक के बाद एक हुए दो हादसों की वजह से मंत्री के इस्तीफे की मांग की जा रही है। इस बीच सरकार ने एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अश्विनी लोहानी को रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की है। निवर्तमान अध्यक्ष अशोक मित्तल ने पांच दिनों के अंदर दो रेल हादसों के चलते अपने पद से इस्तीफा रेल मंत्री को सौंप दिया था।