'देश में इमरजेंसी जैसे हालात...जजों की तरह अब मंत्री भी PM के खिलाफ निडर होकर रखें बात'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता यशवंत सिन्हा खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने शनिवार को मोदी सरकार पर हमला बोला। देश की वर्तमान हालत की तुलना उन्होंने 1975 की इमरजेंसी से की और जोर दिया कि इसके लिए संसद सत्र बुलाना चाहिए। उन्होंने अपने बागी पार्टी नेताओं को भी निडर होकर बात रखने की सलाह दी। शुक्रवार को जजों ने पहली बार मीडिया के सामने आकर सीजेआई के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने लोकतंत्र पर खतरे की बात भी कही थी।
सिन्हा ने कहा, ''देश में इमरजेंसी जैसे हालात न बनें, इसके लिए संसद का छोटा सत्र बुलाकर आवाज उठानी चाहिए। अगर संसद को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है तो लोकतंत्र खतरे में है। अगर सुप्रीम कोर्ट के 4 जज मीडिया के सामने आकर यह बोलते हैं कि लोकतंत्र पर खतरा है, हमें उनके शब्दों को गंभीरता से लेना चाहिए। सभी नागरिक जो लोकतंत्र के बारे में सोचते हैं, उन्हें बोलना चाहिए। मैं पार्टी (भाजपा) नेताओं और कैबिनेट के मंत्रियों से अपील करता हूं कि डर छोड़कर आवाज उठाएं।''
यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि 4 जजों ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के संकट को उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ आवाज उठाई। लेकर पब्लिक कर देश को बताया कि सीजेआई अपनी मर्जी से केस और जुडिशियल ऑर्डर पसंदीदा बेंच को भेजते हैं। इसी तरह देश के प्रधानमंत्री भी सभी मंत्रियों के बराबर हैं, लेकिन सरकार में प्रथम मंत्री हैं। कैबिनेट के साथियों को भी उनके खिलाफ बोलने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
यह पूछने पर कि क्या सुप्रीम कोर्ट के विवाद में राजनेताओं को दखल देना चाहिए। सिन्हा ने कहा कि जब 4 जज सबके सामने आकर बोल रहे हैं तो फिर यह कोर्ट का आंतरिक मुद्दा नहीं रहा। हर नागरिक को आवाज उठानी चाहिए। राजनीतिक पार्टियों और संसद को भी लोकतंत्र पर खतरे को भांपना चाहिए। गौरतलब है कि शुक्रवार को जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सीपीआईएम नेता डी. राजा ने जस्टिस चेलमेश्वर से मुलाकात की थी। इसके बाद कांग्रेस ने कहा कि जजों के उठाए मुद्दे परेशान करने वाले हैं। जस्टिस बीएच लोया की मौत की जांच सीनियर जज से करानी चाहिए।
शीतकालीन सत्र और बजट सत्र को लेकर सिन्हा ने कहा, ''मैंने कभी इतने छोटे संसद सत्र के बारे में नहीं सुना। यह भी एक तरह से लोकतंत्र पर खतरा है। सरकार के मंत्री डरे हुए हैं, मैं पर्सनली जानता हूं।'' बता दें कि मोदी सरकार ने 29 जनवरी से 9 फरवरी तक संसद का बजट सेशन बुलाया है। 1 फरवरी को आम बजट पेश होगा। यह सेशन का पहला भाग होगा। इसके बाद अप्रैल में दूसरा भाग शुरू होगा।
वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर भड़ास निकाली है। मोदी सरकार के जीएसटी और नोटबंदी पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि इससे देश की इकोनॉमी को नुकसान हुआ। उन्होंने कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार की नीतियों को भी कठघरे में खड़ा किया। इससे संबंधित उन्होंने लेख भी लिख कर तहलका मचा दिया था। उन्होंने लिखा था- अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। पिछले दो दशक में निजी क्षेत्र में निवेश सबसे कम रहा है। जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया। इससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए। इकोनॉमी में पहले से ही गिरावट आ रही थी, नोटबंदी ने तो सिर्फ आग में घी का काम किया।
शिवसेना ने भी जताई फिक्र
वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ''शुक्रवार को जो हुआ बेहद परेशान करने वाला है। चारों जजों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, लेकिन एक बात गौर करने वाली है कि इन्हें यह कदम क्यों उठाना पड़ा। लोकतंत्र के 4 स्तंभों (कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और पत्रकारिता) का स्वतंत्र होना जरूरी है। अगर वे एक दूसरे पर गिरेंगे तो सब खत्म हो जाएगा।''