जनता परिवार का विलय, मुलायम होंगे अध्यक्ष
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : आखिरकार जनता परिवार के विलय का ऐलान हो ही गया। जनता दल से टूटकर अलग हुईं पार्टियों समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, इंडियन नेशनल लोकदल, जनता दल सेक्यूलर और समाजवादी जनता पार्टी के बीच हुई बातचीत के बाद बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी गई।
जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने बताया कि नए दल के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव होंगे। वे ही पार्लियामेंट्री कमेटी के अध्यक्ष होंगे। बैठक मुलायम सिंह यादव के दिल्ली स्थित आवास पर हुई। मुलायम ने इसे ऐतिहासिक निर्णय की संज्ञा देते हुए कहा, 'नई सरकार को बहुमत मिलने के बावजूद उसने कुछ नहीं किया। यह पहली सरकार है, जिसने विपक्षी दलों की कभी राय नहीं ली। पूर्व की कोई भी सरकार लोकतांत्रिक ढंग से काम करती थी और हमसे बातचीत करती थी। केंद्र सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया। गरीब और हाशिए पर जी रहे लोग हताश हो चुके हैं। सरकार करे न करे, लेकिन हम सबकी समस्याओं का निराकरण करेंगे।
जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, 'पिछले कुछ महीने से छह दलों के बीच में एकजुटता के लिए विचार मंथन चल रहा था। शुरुआत से ही सभी की इच्छा थी कि सब एकजुट हों। यह दल एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरेगा और देश की राजनीति को दिशा देगा।' इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला ने कहा कि देश को काफी वक्त से इस मर्जर की जरूरत थी। वहीं, लालू ने दावा किया कि नई पार्टी भाजपा की हवा निकाल देगी।
जनता परिवार के विलय पर भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा कि बिहार में भाजपा को रोकने के लिए यह विलय हुआ है। लेकिन सब कुछ ठीक चलेगा, इसकी गारंटी नहीं। इसका एक संकेत तो यही समझ लीजिए कि बुधवार की बैठक में नई पार्टी का नाम और झंडा तक तय नहीं हो सका। शाहनवाज ने कहा कि ये पार्टियां कितने भी नाम बदलकर सामने आ जाएं, लेकिन भाजपा इनसे लड़ने को तैयार है।
जनता परिवार के इन दलों का असर 5 राज्यों में हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में ये सत्ता में हैं। लोकसभा में 15 और राज्यसभा में इनके 30 सांसद हैं। इन दलों के पास कुल 424 विधायक हैं। विलय के बाद यह देश में तीसरी बड़ी संख्या हो गई है। देश भर में भाजपा के 1029 विधायक और कांग्रेस के 941 विधायक हैं। जनता परिवार के इन पांच प्रमुख दलों के 30 राज्यसभा सदस्य बड़ी ताकत हैं। ये सांसद अगर राज्यसभा में तृणमूल के 12, वाम मोर्चे के 11 और बीजद के 7 सदस्यों से हाथ मिला लें तो इनकी संख्या 60 हो जाती है। ये राज्यसभा में कोई भी बिल रोक सकते हैं। इसी तरह बिहार में लालू-नीतीश साथ चुनाव लड़े तो फायदा होगा।