सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से खलबली, सड़कों पर उतरे पत्रकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में अलग-अलग शहरों में देशभर के पत्रकार उमड़ पड़े हैं। पत्रकारों का साथ देने के लिए सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के नेता भी आगे आए। सबने माना कि ये लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। बेंगलुरु से भोपाल तक और पटना से तिरुवनंतपुरम तक, गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में अलग-अलग शहरों में पत्रकार सड़कों पर उतर आए।
दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर में बुधवार दोपहर से ही पत्रकार, अलग-अलग संगठनों के लोग और नेता जुटने लगे थे। महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आईं गोविंद पनसारे की बहू ने बताया कि कैसे उस पनसारे हत्याकांड की जांच ठहरी हुई है। मेधा पनसारे ने कहा कि हाईकोर्ट की पहल के बाद ही हत्याकांड की जांच कुछ आगे बढ़ पाई। अब इस मामले में गिरफ्तार किये गए दो आरोपियों में एक को जमानत मिल गई है और दूसरे ने भी जमानत की अर्जी दी है। मेधा ने कहा कि जिस तरह से जांच चल रही है, उससे कानून की पकड़ कमजोर पड़ती नजर आ रही है।
दिल्ली स्थित प्रेस क्लब परिसर में एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने इस बात की तरफ ध्यान खींचा कि गौरी लंकेश की मौत पर बहुत अभद्र भाषा में छींटाकशी कर रहे लोगों को किस तरह देश की सत्ता का मौन समर्थन हासिल है। जाने-माने पत्रकार और 'द वायर' के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि विरोध चाहे जितना हो, हम डर के पीछे न हटें। हिंद स्वराज के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा, ये व्यक्ति की नहीं, विचार की हत्या है.
पत्रकारों के इस हुजूम में लेफ्ट के कई नेताओं ने भी अपनी बात रखी। सीताराम येचुरी, डी. राजा, मोहम्मद सलीम, दीपांकर भट्टाचार्य, कन्हैया कुमार आदि ने कहा कि गौरी लंकेश की हत्या के साथ एक आजाद आवाज थम गई है। ये एहसास सबको है कि कहीं न कहीं ये दूसरों को भी डराने की कोशिश है, लेकिन देश भर में पत्रकारों का जुटा ये हुजूम बताता है कि हमारे यहां लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसे बचाए रखने के लिए लड़ने का जज्बा भी जबरदस्त है।
इससे पहले लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार परॉन्जय गुहा ठाकुरता ने गौरी की हत्या को भारतीय मीडिया के इतिहास में एक निर्णायक क्षण क़रार दिया। उन्होंने कहा, हम देख रहे हैं कि खुली सोच की गुंजाइश कम होती जा रही है। वे ऐसे लोगों को चुप कराना चाहते हैं जो सत्ता का सामना सच से कराना चाहते हैं। हम चुप नहीं रह सकते, क्योंकि वे तो यही चाहते हैं। बिल्कुल चुप न रहें। अगर चुप हो गए तो यह उनकी कामयाबी होगी।
ठाकुरता ने कहा, एक पत्रकार के साथ-साथ एक्टिविस्ट या एक्टिविस्ट के साथ-साथ पत्रकार होने में क्या गलत है। उन्होंने कहा, गौरी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा था। गौरी को उसी ख़बर के लिए क्यों निशाना बनाया गया जो कई अन्य ने भी प्रकाशित की थी। स्वतंत्र अभिव्यक्ति के बाबत इस निर्णायक क्षण में हम गौरी को भुला नहीं सकते और यदि हम ऐसा करते हैं तो वे अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे।
द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार लंकेश की हत्या की कड़ी निंदा की और इस घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की। एक बयान में कहा गया, द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया गौरी लंकेश की हत्या से काफी स्तब्ध है और इसकी कड़ी निंदा करती है। उनकी हत्या लोकतंत्र में असंतोष लोगों के लिए अशुभ संकेत है और प्रेस की आजादी पर क्रूर हमला है। संस्था यह मांग करती है कि कर्नाटक सरकार हत्या की न्यायिक जांच गठित करने के अलावा दोषियों को पकड़ने के लिए तत्परता से कार्रवाई करें।
राजनीतिक हस्तियों ने भी गौरी लंकेश की हत्या पर शोक जताया
बेंगलुरु में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की बुधवार को राजनीतिक दलों, पत्रकार संगठनों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी निंदा की। कांग्रेस ने इस मामले को लेकर भाजपा को घेरा तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने इस घटना के तार भाजपा या उसके लोगों से कथित तौर पर जुड़े होने के आरोपों को गैर जिम्मेदाराना, निराधार और फर्जी करार दिया।
गौरी की हत्या की निंदा करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह घटना इस बात की भयावह याद दिलाती है कि असहिष्णुता और कट्टरता हमारे समाज में सिर उठा रही है। सोनिया गांधी ने कहा, देश में तर्कवादियों, स्वतंत्र सोच रखने वालों और पत्रकारों की हत्या की कई घटनाओं ने ऐसा माहौल पैदा कर दिया है कि असंतोष, वैचारिक मतभेद और विचारों को लेकर असहमति आपकी जान को खतरे में डाल सकती है। इसे सहन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, यह हमारे लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुखद क्षण हैं।
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि संप्रग के 10 साल के शासनकाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई जबकि 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद से गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी के बाद अब गौरी लंकेश को उनके स्वंतत्र विचारों के कारण निशान बनाया गया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी इस हत्याकांड की निंदा की और कहा कि सच्चाई को कोई दबा नहीं सकता। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि सोनिया और राहुल ने इस घटना को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से बातचीत की और दोषियों को पकड़ने के लिए यथासंभव कदम उठाने को कहा है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें दक्ष हिंदूवादी नेता करार दिया और कहा कि वह जो बोलते हैं, उसका उनके अपने लोगों के लिए कुछ मतलब होता है और दुनिया के लिए कुछ और। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, सच को कभी दबाया नहीं जा सकता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की विचारधारा सच को दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन भारत में यह नहीं हो सकता।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोनिया और राहुल के बयानों को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री के खिलाफ फर्जी आरोप लगाना उनकी पार्टी के प्रति अन्याय और लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है। गडकरी ने कहा, मौजूदा सरकार, भाजपा या इसके किसी संगठन का पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से कोई सबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पर खामोश रहने का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि लोग जानते हैं कि वह विदेश दौरे पर हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया, वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की निंदा करती हूं। उम्मीद करती हूं कि त्वरित जांच होगी और न्याय मिलेगा। मेरी संवेदनाएं गौरी लंकेश के परिवार के साथ हैं।
55 वर्षीय कन्नड़ पत्रकार व एक्टिविस्ट की मंगलवार देर शाम बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर स्थित उनके आवास पर अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। वह वामपंथ की तरफ झुकाव और हिंदुत्व की राजनीति के ख़िलाफ़ स्पष्टवादी विचारों के लिए जानी जाती थीं। गौरी अपनी कार से घर वापस लौटीं और गेट खोल रही थीं, तभी मोटरसाइकिल पर सवार हमलावरों ने उनपर अंधाधुंध गोलियां चला दीं, जिनमें से दो उनके सीने में और एक माथे पर लगी और उनकी वहीं मौत हो गई।