जस्टिस दीपक मिश्रा ने देश के 45वें CJI के तौर पर ली शपथ
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: देश के 45वें मुख्य न्यायधीश के तौर पर जस्टिस दीपक मिश्रा ने शपथ ले ली है। राष्ट्रपति राम कोविंद ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद एवम् गोपनियता की शपथ दिलाई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य लोग वहां मौजूद थे। वो जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की जगह लेंगे। मिश्रा आगामी 14 महीनों तक इस पद पर बने रहेंगे और अक्टूबर 2018 में उनका कार्यकाल पूरा हो जाएगा।
न्यायमूर्ति मिश्रा अपने कई ऐतिहासिक और बड़े फैसलों को लेकर चर्चा के केन्द्र में रहें हैं। चाहें आधी रात को याकूब मेमन को फांसी की सजा पर सुनवाई हो या फिर निर्भया कांड के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखना हो या फिर राष्ट्रगान के समय हॉल में खड़े रहने वाला फैसला हो इन सब में जस्टिस मिश्रा का नाम शुमार है।
न्यायमूर्ति मिश्रा भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने वाले ओडिशा की तीसरे न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति जीबी पटनायक भी इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। वह पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। तीन अक्टूबर 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। तीन मार्च 1997 को उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया। उसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी।
चार दिन बाद 23 दिसंबर 2009 को उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाये और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किये। उन्हें 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नत करके उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।