तो क्या कांग्रेस के युवराज राहुल को लालू का साथ पसंद है?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/पटना : बिहार कांग्रेस में फूट की खबरों के बीच पिछले दो दिनों तक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विधायकों के साथ बैठक की। कहते हैं कि बैठक में विधायकों ने बिहार की वर्तमान राजनीतिक हालात के बारे में पहली बार खुलकर अपनी-अपनी राय दी है। लेकिन यह भी खबर निकलकर आ रही है कि राहुल ने इशारों-इशारों में संकेत दे दिया है कि उन्हें लालू का साथ पसंद है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम की जल्द घोषणा की जाएगी। राहुल गांधी ने विधायकों के साथ बैठक के दौरान कई बार कहा कि अशोक चौधरी उनके विश्वासपात्र रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि पार्टी के विधायकों को तोड़ने में उनकी भूमिका के बारे में उन्हें कोई दुविधा नहीं हैं।
इस बैठक से दूर रहकर अशोक चौधरी ने सीपी जोशी को पूरे विवाद के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। इससे जोशी भी बिहार के प्रभारी रह पाएंगे, इस पर सवालिया निशान लग गया है। पूर्व में भी जब एक बार पार्टी अध्यक्ष अनिल शर्मा और तत्कालीन प्रभारी जगदीश टाइटलर के बीच विवाद हुआ था, तब दोनों को हटाया गया था। अधिकांश विधायकों के लालू के साथ जाने का विरोध करने पर भी अब राहुल गांधी को उनसे तालमेल करने में कोई आपत्ति नहीं है। राहुल ने कभी भी लालू के साथ पिछले सात वर्षों में राजनीतिक मंच साझा नहीं किया है।
राहुल का लालू विरोध इस आधार पर खत्म होता दिख रहा हैं क्योंकि उन्होंने कई विधायकों से उनके साथ जाने का नफा नुकसान पर खुलकर बात की। पहले पार्टी नेता और राहुल लालू के विषय पर बात करने से बचते थे। जिस लालू के मुद्दे पर राहुल ने अपनी ही सरकार का अध्यादेश फाड़ा था, वही राहुल भाजपा के खिलाफ संघर्ष में लालू यादव का साथ नहीं छोड़ना चाहते हैं, ये बिहार के विधायकों को महसूस हुआ है।
राहुल गांधी और बिहार कांग्रेस के राजद के साथ तालमेल के समर्थक विधायकों को इस सच्चाई का अंदाजा है कि राज्य के चुनाव में वर्तमान यादव-मुस्लिम वोट बैंक से नीतीश के नेतृत्व वाली गठबंधन का मुकाबला आसान नहीं होगा। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर स्टैंड लेकर जिस राहुल गांधी ने अपनी अलग छवि बनाई थी उन पर और राजनीतिक हमले होंगे।