खड़गे ने सरकार को दिखाया आईना, लोकपाल चयन समिति की बैठक का किया बहिष्कार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लोकपाल नियुक्ति पर चयन समिति की बैठक में शामिल होने से यह कहकर इनकार कर दिया कि समिति का सदस्य लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष होता है और कांग्रेस को सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा सरकार ने नहीं दिया है।
दरअसल, गुरुवार को केंद्र सरकार ने लोकपाल चयन समिति की बैठक बुलाई थी, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने हिस्सा लिया। लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सूचना दी कि वह लोकपाल नियुक्ति पर होने वाली चयन समिति की बैठक में आमंत्रित व्यक्ति के रूप में हिस्सा नहीं लेंगे। सरकार ने उन्हें चयन समिति की बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में खड़गे ने कहा कि ‘विशेष निमंत्रण’ लोकपाल चयन के मामले में विपक्ष की आवाज को दबाने का एक सम्मिलित प्रयास है। लोकपाल अधिनियम के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष का नेता ही चयन समिति का सदस्य होता है और खड़गे विपक्ष के नेता नहीं है। लिहाजा वह समिति का हिस्सा नहीं हैं। खड़गे ने मोदी को लिखे पत्र में कहा, विशेष तौर पर भेजा गया आमंत्रण सबसे जरूरी भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी समूह की चयन प्रक्रिया से विपक्ष की आवाज को बाहर करने का एक सम्मिलित प्रयास है। उन्होंने कहा, हिस्सा लेने के अधिकार के बिना विशेष आमंत्रित व्यक्ति के तौर पर मेरी उपस्थिति, मेरे विचार दर्ज करना और मतदान करना प्रकट रूप से ढकोसला होगा जिसका लक्ष्य यह दिखाना है कि चयन प्रक्रिया में विपक्ष ने हिस्सा लिया था।
खड़गे ने पत्र में लिखा, इन परिस्थितियों में लोकपाल अधिनियिम 2013 की पवित्रता को बनाए रखने के लिए मुझे विशेष आमंत्रित व्यक्ति के निमंत्रण को जरूर अस्वीकार करना चाहिए क्योंकि मौजूदा प्रक्रिया ने एक प्रवित्र कार्यपद्धति को राजनीतिक उपस्थिति मात्र तक सीमित कर दिया है। लोकपाल नियुक्ति पर चयन समिति की बैठक को लेकर कांग्रेस सूत्रों की मानें तो मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को दिल्ली पहुंचे और पार्टी हाईकमान तथा कानूनी पक्ष समझने के बाद बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला लिया गया। इस बैठक के लिए सरकार की तरफ से भेजे गए निमंत्रण में में खड़गे की भूमिका को भी स्पष्ट नहीं किया गया है।
मालूम हो कि लोकपाल को देश के शीर्ष अधिकारियों समेत प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होगा। लोकपाल और लोकायुक्त कानून साल 2013 में दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) की सहमति से पास हुआ था, लेकिन पिछले चार साल से लोकपाल कानून सरकारी अधिकारियों की फाइलों में अटका है। इस बिल में साफ-साफ लिखा गया है कि भ्रष्टाचार से जुड़े हर मामले की जांच लोकपाल के जरिए होगी चाहे उसमें देश के प्रधानमंत्री से जुड़ा मामला ही क्यों न हो।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई भी हुई थी। एक गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने जनहित याचिका दायर करके लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। इसके लिए चयन समिति की बैठक एक मार्च को होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अटॉर्नी जनरल की ओर से दी गई इस जानकारी के मद्देनज़र मामले की सुनवाई छह मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।