'लानत है... मैं अपने ही वर्ग की बात नहीं रख सकती, मुझे नहीं है सदन में रहने का अधिकार'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: मॉनसून सत्र का आगाज हो चुका है और उम्मीद के मुताबिक हंगामेदार और शोरशराबे से भरा है। राज्यसभा में इसी शोरशराबे के बीच बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने की धमकी तक दे डाली। उनका आरोप था कि उनकी बात को जानबूझकर सुना नहीं जा रहा है।
मायावती ने सत्तापक्ष पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार दलित विरोधी नीति के तहत काम कर रही है। उन्होंने सहारनपुर में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा को सदन में उठाया। इसी बीच उनके खिलाफ आवाजें उठने लगीं तो गुस्से में उन्होंने कहा कि उनकी बात नहीं सुनी गई तो वो अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देंगी। उसके बाद भी जब हालात सामान्य नहीं हुए तो वो गुस्से में वॉकआउट कर गईं। जिसके बाद काफी हंगामा मचा और विपक्ष की ओर से नारेबाजी हुई। कुछ देर बाद कांग्रेस ने माया के समर्थन में वॉकआउट किया।
इसके बाद केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मायावती के रवैये को सदन और अध्यक्ष का अनादर करार दिया और उनसे माफी मांगने को कहा। वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने बसपा अध्यक्ष के मुद्दों का समर्थन किया। उन्होंने कहा उन्होंने दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ हो रही ज्यादती के मुद्दे उठाये जो बेहद संवेदनशील और गंभीर हैं।
बाद में मीडिया से मुखातिब मायावती ने बेहद आक्रामक और भावुक अंदाज में कहा- लानत है, अपने ही कमजोर तबके की आवाज सदन में नहीं उठा सकती- तो मुझे इस सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है।