मक्का मस्जिद ब्लास्ट में स्वामी असीमानंद बरी, भाजपा बोली- भगवा आतंक पर राहुल मांगें माफी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
हैदराबाद : मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सबूतों के अभावों में स्वामी असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। आरोपियों के बरी होने के बाद भगवा आतंकवाद पर राजनीति गरमा गई है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, आज कांग्रेस के चेहरे से मुखौटा उतर गया है। कांग्रेस जिस प्रकार से हिन्दू आंतकवाद के नाम पर हिन्दू धर्म को बदनाम कर तुष्टिकरण की राजनीति करने का काम कर रही थी, उसका आज पर्दाफाश हो गया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया, क्या राहुल गांधी इंडिया गेट पर क्षमा याचना के लिए रात के 12 बजे आएंगे?
मालूम हो कि एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने केस की सुनवाई पूरी कर ली थी। मामले में 10 आरोपियों में से आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। सभी पांच आरोपी देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भारत भाई और राजेंद्र चौधरी को कोर्ट ने बरी करने का फैसला सुनाया। इन सभी को मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया था और उनपर ट्रायल चला था। इसमें नबाकुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद का नाम भी शामिल था। जिन 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी उसमें से स्वामी असीमानंद और भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भरत भाई जमानत पर बाहर हैं और तीन लोग जेल में बंद हैं।
ग्यारह साल बाद आया फैसला, जानिए कब क्या हुआ
- 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के वक्त दोपहर 1.25 बजे मोबाइल निर्देशित पाइप बम में धमाका किया गया।
- बम वजुखाना में संगमरमर की बेंच के नीचे लगाया गया था। ब्लास्ट के समय 5000 से अधिक लोग मौजूद थे।
- धमाके में 9 लोग मारे गए जबकि 58 घायल हुए। प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में और लोग मारे गए।
- मक्का मस्जिद में तीन बम और मिले। दो तो वजुखाने के पास मिले और एक बम मस्जिद दीवार के पास।
- एनआईए ने असीमानंद और लक्ष्मण दास महाराज जैसे राइट विंग नेताओं समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया।
- मस्जिद ब्लास्ट मामले में दो और मुख्य आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंगरा अभी भी फरार चल रहे हैं।
- 13 मार्च 2018 को डॉक्युमेंट जांच के दौरान असीमानंद की डिस्क्लोजर रिपोर्ट गायब होने की सूचना मिली।
- एक दिन बाद यह क्लोजर रिपोर्ट मिल गई और आज (16 अप्रैल 2018) करीब 11 साल बाद इस केस में फैसला सुनाया गया।
18 मई 2007 को यानी जुमे की नमाज के दिन मुस्लिम समाज के इस प्रसिद्ध इबादतगाह में हुए धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा विस्फोट में 58 लोग घायल भी हुए थे। इस मामले में स्वामी असीमानंद समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था। एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली थी और सोमवार को फैसला सुनाया गया। इस साल मार्च में खबर आई थी कि इस मामले के आरोपी स्वामी असीमानंद की डिस्क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट से गायब हो गई है। इसके बाद हड़कंप मच गया था। हालांकि एक दिन बाद दस्तावेज मिल गया था।
2007 में हुए इस ब्लास्ट में स्थानीय पुलिस ने शुरूआती छानबीन की थी। बाद में यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया। इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास भेजा गया। आपको बता दें कि ब्लास्ट के बाद पुलिस ने दर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें कई और लोग मारे गए थे। इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। इन बयानों में पीड़ितों के साथ ही आरएसएस प्रचारकों सहित कई लोगों को शामिल किया गया था।
मामले के आरोपी असीमानंद को अप्रैल 2017 में कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह हैदराबाद और सिकंदराबाद नहीं छोड़ सकते। पिछले महीने असीमानंद से जुड़े एक दस्तावेज के गायब होने की खबर आई थी। मामले का खुलासा तब हुआ जब कोर्ट के सामने मंगाए गए दस्तावेज सीबीआई के मुख्य जांच अधिकारी एसपी टी. राजेश बालाजी ने देखे। हालांकि बाद में दस्तावेज मिल गए थे। सीबीआई ने जिन चश्मदीदों की गवाही दर्ज की थी उनमें से 54 गवाह मुकर गए। इनमें डीआरडीओ के वैज्ञानिक वदलामनी वेंकट राव भी शामिल थे।