धर्मनिरपेक्षता के बिना भारत की कल्पना नहीं : ओवैसी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
हैदराबाद : मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि भारत की हैसियत में कमी आ जाएगी, अगर वह अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खो देगा। उन्होंने इस बात को गलत बताया कि उनकी पार्टी सांप्रदायिक है।
ओवैसी ने एक इंटरव्यू में कहा, वह एक बात जो भारत को बांधे रखती है, वह है इस महान राष्ट्र की विविधता और बहुलता। लोकसभा सांसद ने कहा, देश के स्वभाव में धर्मनिरपेक्षता, विविधता और बहुलता है। यही हमारे देश को मजबूत बनाते हैं। और, हमें हर कीमत पर इन्हें और मजबूत बनाना होगा।
लंदन में शिक्षित ओवैसी ने इस बात को गलत बताया कि एमआईएम एक मुस्लिम पार्टी है। उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों के साथ ही दलितों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों की भी पार्टी है। उन्होंने कहा, किसने उन्हें (आलोचकों को) मुझे धर्मनिरपेक्ष, सांप्रदायिक या राष्ट्र विरोधी कहने का हक दिया? ये लोग राष्ट्रवाद या धर्मनिरपेक्षता पर बौद्धिक अधिकार नहीं रखते। ऐसे बेबुनियाद आरोप मेरे राजनैतिक सफर को रोक नहीं सकते।
उन्होंने कहा, एक राजनैतिक पार्टी है, जो भारतीय लोकतंत्र में विश्वास बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। आप मेरी राजनीति से असहमत हो सकते हैं। आपको इसका पूरा हक है, लेकिन यह मत कहिए कि लोकतंत्र में भागीदारी न करो। अगर आप ऐसा करेंगे तो फिर लोकतंत्र में विश्वास करने वालों को क्या संदेश दे रहे हैं आप? फिर कौन-सा रास्ता बचेगा?
ओवैसी इस बात पर भी बरसे कि एमआईएम जैसी पार्टियां हिंदू-मुस्लिम खाई के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में यह बूता नहीं है कि वे कह सकें कि ध्रुवीकरण तो बहुसंख्यक समाज, खासकर सवर्ण जातियों में हो रहा है। चूंकि धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए यह कह पाना राजनैतिक रूप से संभव नहीं होता, इसलिए वे मुसलमानों या एमआईएम पर निशाना साधने लगती हैं।
उन्होंने कहा, लामबंदी दूसरी तरफ हो रही है न कि मुसलमानों की तरफ। यही वजह है कि वे (भाजपा) 280 लोकसभा सीटें जीतते हैं। मुस्लिम वोट बैंक जैसी कोई चीज नहीं है। यह एक मिथक है।