PM मोदी ने पत्रकारों के सामने माना कि भाजपा के भीतर से ही उठ रहीं हैं अलग-अलग आवाजें
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी ही पार्टी के दिग्गजों से लेकर एक आम कार्यकर्ता को छिपे अंदाज में एक सुर में यानी पार्टी लाइन के मुताबिक बात रखने की नसीहत दी है। मोदी दिवाली मिलन समारोह में पत्रकारों से रूबरू थे। इसका आयोजन भाजपा के मुख्य कार्यालय में किया गया था।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपने जनसंघ के दिनों को याद किया। कहा- उस समय (जनसंघ के समय) जब यह छोटा संगठन था तब केंद्रीय नेतृत्व से लेकर सतही कार्यकर्ताओं तक विचारधारात्मक सामंजस्य हुआ करता था।'
उन्होंने माना कि पार्टी के विस्तार के साथ विचारों की एकरूपता खत्म होती जा रही है। कहा कि एकरूपता लाने के लिए आज की स्थिति में गहन प्रशिक्षण और नियमित संपर्क साधना मुमकिन नहीं रहा। भिन्न विचारों के कारण पार्टी का विस्तार हो सकता है।
प्रधानमंत्री के इस मन की बात से जाहिर है कि उनकी पार्टी के नेताओं की ओर से हाल ही में आए संवेदनशील और विवादास्पद बयान की तरफ इशारा कर रहे थे। हाल ही में ताजमहल को लेकर भाजपा विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को भारतीय संस्कृति के लिए एक धब्बा बताया था। इसे लेकर राजनीति होने लगी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को डैमेज कंट्रोल के लिए आगे बढ़ना पड़ा। वहीं हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा से लेकर अरुण शौरी तक सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमला बोल चुके हैं। ऐसा ही मामला वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा राजस्थान में लाए गए अध्यादेश को लेकर भी कहा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इस मसले पर शीर्ष या केन्द्र नेतृत्व से कोई सलाह मशविरा नहीं किया।
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही सभी राजनीतिक दलों को लोकतांत्रिक मूल्यों का पाठ भी पढ़ाया। यहां शायद उनके निशाने पर राहुल गांधी थे। जिनके बारे में चर्चा है कि वो जल्द ही अध्यक्ष पर दी कुर्सी संभालने वाले हैं। मोदी ने कहा- लोकतांत्रिक मूल्य उनके (पार्टियों के) मूलभूत मूल्य हैं या नहीं, इस बारे में व्यापक चर्चा होनी चाहिए। मेरा मानना है कि राजनीतिक दलों के भीतर सच्ची लोकतांत्रिक भावना का विकास न सिर्फ देश के भविष्य के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है।
मोदी ने राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र पर चर्चा का आह्नवाहन किया और कहा कि देश के भविष्य के लिए पार्टियों के भीतर सच्ची लोकतांत्रिक भावना का विकास आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की फडिंग पर अक्सर चर्चा होती है, लेकिन उनके मूल्यों, विचारधारा, आतंरिक लोकतंत्र और वह नई पीढ़ी के नेताओं को किस तरह अवसर प्रदान करती हैं, इस बारे में चर्चा नहीं होती।
ये भी बोले मोदी-
नरेंद्र मोदी ने मीडिया के साथ बिताए अपने अनुभवों को भी साझा किया। कहा- मेरा अनुभव है कि मीडिया जगत फॉर्मल तौर पर अपनी-अपनी भूमिका अदा करता है, लेकिन जब इन्फॉर्मल बैठते हैं, तो सभी के दिल में देश के लिए वेदना होती है। कुछ करने का इरादा होता है।आप काफी जगह पर होकर आए होते हैं, इसलिए आपकी सलाहों में दम होता है। यह अपनापन बहुत फायदेमंद होता है। पहले इस बिरादरी में संख्या बहुत कम होती थी। पांच-सात लोगों से निकटता बना ली तो गाड़ी निकल जाती थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है और यह हम लेागों के लिए भी चुनौती है।
स्वच्छता अभियान में सहयोग सराहनीय
प्रधानमंत्री ने कहा- मीडिया कितना बड़ा रोल प्ले कर सकता है यह मैंने पिछले दिनों देखा। सरकार में बैठे लोगों की आलोचना से आधा अखबार भरा होगा, लेकिन स्वच्छता की बात पर सब एकजुट हो जाएंगे। मीडिया के सभी माध्यमों ने इसमें सकारात्मक रोल प्ले किया है। मुझे विश्वास है कि जिस मिशन के साथ लोग इसमें जुटे हैं लगता है कि यह काम तय समय से पहले पूरा हो जाए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मोदी लगातार हर दिवाली पर पत्रकार मिलन समारोह का हिस्सा बनते रहें हैं। 2014 से ही इस परम्परा की शुरुआत हुई थी।