अब आरटीआई कानून में संशोधन की तैयारी में जुटी मोदी सरकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने एक आरटीआई याचिका के जवाब में इस बात की पुष्टि की है कि वह सूचना के अधिकार कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है। लेकिन सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने प्रस्तावित संशोधन बिल का ब्योरा देने से मना कर दिया।
शनिवार को आरटीआई याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज ने बताया कि उन्हें यह जवाब डीओपीटी विभाग से इसी महीने मिला है। उन्होंने बताया कि याचिका के जवाब में कहा गया है कि आरटीआी अधिनियम, 2005 में संशोधन पर विचार चल रहा है। आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(आई) के तहत यह प्रक्रिया जिस मुकाम पर है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
आरटीआई के आवेदन में जो सवाल पूछे गए थे उसमें से अहम था कि किस तारीख में आरटीआई अधिनियम के प्रस्ताव में संशोधन किया जाएगा। किस तारीख को इसे डीओपीटी विभाग प्रस्ताव को अग्रसारित करेगा और कैबिनेट किस तारीख को इसे संशोधित करेगी। याचिका में संशोधन के मसौदे की प्रति, डीओपीटी की ओर से भेजे गए प्रस्ताव की प्रति और कैबिनेट के निर्णय की प्रति भी मांगी गई थी।
याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा कि यूपीए शासनकाल में लाई गई 2014 की पूर्व विधायी परामर्श नीति (पीएलसीपी) के तहत सरकार को सभी विधेयकों और नीतियों आदि को योजना बनाने के दौरान जनता के समक्ष परामर्श के लिए एक महीने के लिए उजागर करना चाहिए। लेकिन सरकार इस संशोधन को सार्वजनिक नहीं करना चाहती है। उन्होंने इस बारे में कोई भी सूचना नहीं दी है।