CWC बैठक में बोले राहुल, सत्ता के अहंकार में चूर है मोदी सरकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा। राहुल ने पीएम मोदी को सत्ता के मद में चूर करार दिया तो मनमोहन सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार में लोकतंत्र सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले हुई इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालातों पर चर्चा की गई।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक को संबोधित करते हुए अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता की धुन में चूर हैं। वह असंतोष की आवाज को खामोश करना चाहते हैं। टीवी चैनलों को शटडाउन के लिए मजबूर किया जा रहा है। लोकतंत्र सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।
राहुल ने सरकार की पाकिस्तान नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह एक पराकाष्ठा से दूसरी पराकाष्ठा के बीच झूल रही है। मोदी सरकार सत्तामद से ग्रस्त है। यह सभी असहमत लोगों को चुप करा देना चाहती है। सवाल पूछने पर राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ लेकर सिविल सोसाइटी को धमकाया जा रहा है। टेलीविजन चैनलों को दंडित किया जा रहा है और उन्हें बंद करने के लिए कहा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को जवाबदेह करार देने पर, सरकार से जवाब तलब करने पर विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। राहुल ने कहा, वर्तमान शासन में लोकतंत्र अंधकारमय दिनों से गुजर रहा है। राजसत्ता का दुरुपयोग करते हुए इस सरकार के सभी प्रयास हमारी मौलिक स्वतंत्रता को दबाने के लिए हो रहे हैं। इस तरह के खतरनाक इरादे, इसे विफल करने के हमारे संकल्प को और मजबूत करेंगे।
मोदी सरकार की पाकिस्तान और जम्मू एवं कश्मीर की नीति को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि यह ऐसा दौर है जिसमें सैनिक कई दशकों में सबसे ज्यादा हताहत हुए हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, एक संवेदनहीन सरकार ने सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) देने से मना कर और इनकी विकलांगता पेंशन घटाकर ‘निदर्यतापूर्वक पुरस्कृत’ किया है।
राहुल गांधी ने अक्टूबर में मोदी को लिखा था कि पिछले कुछ हफ्तों में सरकार ने जो निर्णय लिए हैं, वे सशस्त्र बलों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हैं और इनसे उन्हें दुख पहुंचा है। आगामी संसद सत्र में मोदी सरकार को बेनकाब करने का आह्वान करते हुए राहुल गांधी ने कहा, सवाल पूछने पर यह सरकार अत्यधिक असहज हो जाती है, क्योंकि उनके पास जवाब नहीं होते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी रोक-टोक के दलितों का उत्पीड़न हो रहा है और जनजातियों के अधिकारों को कुचला जाना जारी है। राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 20 माह में निर्यात में कमी हुई है और किसानों की आत्महत्या तथा कृषि से जुड़े लोगों की बेचैनी आश्चर्यजनक स्तर तक बढ़ी है।
उन्होंने कहा, सरकार अपनी नाकामियों को उन संख्याओं की आड़ में छिपाने की कोशिश कर रही है जो बहुत संदेहपूर्ण एवं सवालों के घेरे में है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आम आदमी को नहीं बल्कि पसंदीदा कॉरपोरेट को तरजीह दी जा रही है। राहुल गांधी ने कहा कि हम लोगों ने सफलतापूर्वक उनके गरीब विरोधी एजेंडा और तोड़े गए वादों का पर्दाफाश किया है। हम लोगों को मोदी सरकार की हर मोर्चे पर नाकामी का खुलासा करते रहने के लिए हर हाल में संघर्ष करते रहना होगा।
दरअसल, कांग्रेस कार्यसमिति की यह बैठक पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होनी थी, लेकिन वह खराब सेहत की वजह से बैठक में शामिल नहीं हुईं। इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, मलिका अर्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, बीके हरिप्रसाद और गुलाम नबी आजाद समेत लगभग 21 सदस्यों ने हिस्सा लिया। सोनिया के बैठक में शामिल नहीं होने की जानकारी पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दी।
ऐसा पहली बार है कि राहुल गांधी ने समिति की बैठक की अध्यक्षता की। 46 वर्षीय राहुल को जनवरी 2013 में जयपुर के चिंतन शिविर में उपाध्यक्ष चुना गया था। 16 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पूर्व समिति की बैठक होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव भी काफी लंबे समय से अटके पड़े हैं और पार्टी ने 31 दिसंबर तक इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग से समय मांगा है।