कांग्रेस का आरोप; मोदी ने राफेल की बेंचमार्क कीमत 5.2 अरब यूरो से बढ़ाकर 8.2 अरब यूरो किया
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राफेल लड़ाकू विमान सौदे में नए खुलासे का दावा करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे की बेंचमार्क कीमत को 5.2 अरब यूरो से बढ़ाकर 8.2 अरब यूरो कर दिया, जिस वजह से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
पार्टी ने शुक्रवार को लोकसभा में इस सौदे से संबंधित बहस के दोबारा शुरू होने से पहले कहा, राफेल सौदे में नए खुलासे से भ्रष्टाचार के नए तथ्य सामने आए हैं। धोखा देने का पूरा मामला प्रधानमंत्री के दरवाजे पर आ टिका है, जिन्होंने राफेल सौदे में 'वार्ता दल' की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। संसद में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद ने कहा, मोदी सरकार ने राफेल घोटाले में सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने के लिए फर्जी हलफनामा दाखिल किया। इस प्रकार की सरकार को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।"
मोदी सरकार पर हमलावर होते हुए आजाद ने कहा कि देश को अब समझ में आ गया है कि राफेल घोटाला कितना बड़ा था। मोदी सरकार इसे छिपाने के लिए सबकुछ कर रही है। इसलिए, हमने हमेशा माना है कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) एक उचित मंच है, जो मामले की जांच कर सकती है। भाजपा नीत सरकार पर राफेल सौदे की बेंचमार्क कीमत को बढ़ाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने बेंचमार्क कीमत को 5.2 अरब यूरो से बढ़ाकर 8.2 अरब यूरो कर दिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी पर संसद और सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोलने का आरोप लगाया। खड़गे ने कहा, उन्होंने कैग रिपोर्ट के बारे में फर्जी हलफनामा पेश किया और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में क्लीन चिट मिलने का दावा किया। खड़गे ने कहा, जो प्रधानमंत्री का बचाव कर रहे हैं, वह झूठ बोल रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि ताजा खुलासे ने राफेल मामले में भ्रष्टाचार के नए तथ्य उजागर किए हैं।
सुरजेवाला ने कहा, धोखा का सारा मामला प्रधानमंत्री के दरवाजे पर जा टिका है, जिन्होंने राफेल सौदे में वार्ता दल द्वारा रिकार्ड किए गए और उठाए गए मुद्दे को दरकिनार कर दिया। बेंचमार्क कीमत में वृद्धि करने पर मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, इस बात की पुष्टि मई 2016 तक रक्षा मंत्रालय में वित्त प्रमुख रहे सुधांशु मोहंती ने की थी, जिन्होंने रहस्य से पर्दा उठाया था और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने दावा किया कि आज तक प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोहंती के बयान को खारिज नहीं किया है।
सुरजेवाला ने मोदी पर 'अग्रिम और परफार्मेस बैंक गारंटी और संप्रभु गारंटी' छोड़ने का आरोप लगाया और कहा, रक्षा मंत्रालय की फाइल में उठाई गई आपत्ति में बताया गया है कि कोई अग्रिम और परफार्मेस बैंक गारंटी नहीं ली गई और विमान आपूर्ति से पहले अग्रिम भुगतान सुरक्षित नहीं है। दस्तावेजों दिखाते हुए सुरजेवाला ने दावा किया कि 9 दिसंबर 2015 को कानून मंत्रालय ने फ्रांस की सरकार द्वारा कोई 'बैंक गारंटी/संप्रभु गारंटी' नहीं लेने का मुद्दा उठाया था और इस बात की चिंता जताई थी कि सौदे के अंतर्गत विमानों की वास्तविक आपूर्ति के बिना ही अग्रिम भुगतान से सरकारी खजाने से बड़ी धनराशि देनी होगी।
सुरजेवाला ने कहा, सात मार्च, 2016 को, तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने 'बैंक-फ्रेंच गवर्मेंट गारंटी' के बदले 'लेटर ऑफ कंफर्ट' स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 18 अगस्त, 2016 को रक्षा मंत्रालय की विमान खरीद इकाई ने एक नोट सामने रखा था, जिसमें कहा गया था कि जरूरत के हिसाब से फ्रांस से बैंक गारंटी के लिए जोर दिया जा सकता है और भारतीय पक्ष को बैंक गारंटी शुल्क चुकाना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा, 23 अगस्त, 2016 को, कानून मंत्रालय ने एक बार फिर रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) की शर्त के तहत 'फ्रांस सरकार-संप्रभु गारंटी' की जरूरत को रक्षा मंत्रालय के समक्ष दोहराया। उसके एक दिन बाद 24 अगस्त, 2016 को, प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति(सीसीएस) की बैठक में 'लेटर ऑफ कंफर्ट' को स्वीकार कर लिया और 'बैंक गारंटी/फ्रांस सरकार संप्रभु गारंटी' की शर्त में छूट दे दी।"
सुरजेवाला ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी ने इस संबंध में 'रखरखाव के नियम एवं शर्तो' को दरकिनार कर दिया, जिसके अंतर्गत कहा गया था कि '36 राफेल आईजीए के पीबीजी (प्रदर्शन आधारित गारंटी) समेत रखरखाव नियम एवं शर्ते 126 एमएमआरसीए(मीडियम मल्टी-रोल कंबेट एयरक्राफ्ट) राफेल सौदे से बेहतर नहीं थीं।'
उन्होंने फाइल के हवाले से कहा, 36 राफेल आईजीए की आपूर्ति सूची 126 एमएमआरसीए सौदे से बेहतर नहीं थी। सुरजेवाला ने कहा, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों के साथ समझौता कर आपूर्ति में देरी के बाद भी सौदे में आगे बढ़ते रहे। उन्होंने रक्षा मंत्रालय की फाइल में उठाई गई आपत्तियों का हवाला देते हुए कहा कि जैसा कि दसॉ के वित्तीय नतीजों में दिख रहा है, राफेल को भारत की तुलना में कतर और मिस्र को सस्ते दर पर पर बेचा गया है।