गोरक्षकों के खिलाफ PM मोदी के बयान को विपक्ष ने बताया पाखंड
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : विपक्षी दलों के नेताओं ने गुरुवार को गौरक्षकों के खिलाफ साबरमती आश्रम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आए बयान की गंभीरता को लेकर सवाल खड़े किए हैं और इसे पाखंड बताया है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि पीएम मोदी ने पहले भी कई बार चेतावनी दी थी, जिसका ज्यादा असर नहीं देखा गया।
मोदी गुरुवार को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के शता्ब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गौ-भक्ति के नाम पर हत्या को स्वीकार नहीं किया जा सकता और किसी को अपने हाथ में कानून लेने का अधिकार नहीं है। उनके इस बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, प्रधानमंत्री को खुद से पूछना चाहिए कि किसने इस देश में अराजकता का माहौल बनाया है। औपचारिकता के तौर पर आलोचना पर्याप्त नहीं है। प्रधानमंत्री को इसकी पुष्टि करनी चाहिए कि वह भारत के संस्थापक मूल्यों में विश्वास करते हैं।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख व लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी के बयान को महज ‘होठों की जुंबिश’ करार दिया और कहा कि गौरक्षक कभी सीधे तौर पर तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा व संघ परिवार का समर्थन पा रहे हैं। ओवैसी ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री कहते हैं कि गाय के नाम पर हत्याएं अस्वीकार्य हैं, लेकिन पहलू खान के कथित तीन हत्यारों की अभी भी गिरफ्तारी बाकी है और राजस्थान में भाजपा की सरकार है। अपने कहे पर अमल तो कीजिए प्रधानमंत्री जी। ओवैसी ने कहा, पीएम मोदी का बयान सिर्फ जुबानी बयानबाजी है, पशुओं को ज्यादा महत्व मिल रहा है और लोगों की हत्या जारी है।
महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि मोदी साबरमती आश्रम गए, उन पर गांधी जी की आत्मा की मौजूदगी का असर पड़ना चाहिए। गोपालकृष्ण गांधी ने कहा, उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह पूरी तरह से सही है, लेकिन इसका जमीनी तौर पर कड़ी कार्रवाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। सभी अपराधियों (नफरत फैलाने वालों) को पकड़ा जाना चाहिए। उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और जनता का कानून व व्यवस्था में विश्वास बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि मोदी के बयान से बदलाव की शुरुआत होगी।
जनता दल (युनाइटेड) के प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री के बयान में कोई तत्व नहीं दिखाई देता। त्यागी ने कहा, मैं नहीं मानता कि प्रधानमंत्री की तथाकथित चेतावनी गौरक्षकों के लिए कोई मायने रखती है। प्रधानमंत्री पहले भी गौरक्षकों पर बोल चुके हैं, लेकिन इसका जमीनी हकीकत पर थोड़ा ही असर हुआ। वास्तव में वह हर बार इस तरह की सलाह गौरक्षकों को देते हैं, इसके बावजूद गाय के नाम पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। आज ही झारखंड में एक इंसान की जान ले ली गई।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि गोमांस खाने या गोवध के नाम पर लोगों की पीट-पीट कर की जाने वाली हत्याएं रुकनी चाहिए और इस पर सिर्फ बयानबाजी काफी नहीं है। ममता ने ट्वीट कर कहा, हम गौरक्षा के नाम पर हत्याओं की निंदा करते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। इसके लिए सिर्फ बयान पर्याप्त नहीं हैं। माकपा के नेता डी. राजा ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों पर कड़ी व ठोस कार्रवाई की मांग की। राजा ने कहा, मोदी बोल रहे हैं ठीक, लेकिन कार्रवाई क्या हुई? वह बार-बार सुझाव क्या दे रहे हैं। गाय के नाम पर पीट-पीटकर हत्या की सभी घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हो रही हैं। सभी जानते हैं गौरक्षकों को कौन संरक्षण दे रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा कि प्रधानमंत्री के शब्द खोखले प्रतीत होते हैं। उन्होंने देरी से रोहित वेमुला और उना में दलितों के उत्पीड़न पर इस तरह के बयान दिए हैं। क्या इस तरह की घटनाएं रुकीं? वास्तव में इस तरह के गौरक्षक समूहों पर हकीकत में कोई कार्रवाई नहीं हुई। राष्ट्र को भीड़ द्वारा हत्या किए जाने पर तत्काल कानून बनाए जाने की जरूरत है। इससे पहले पूरे देश में बुधवार को कई शहरों में ‘नॉट इन माइ नेम’ अभियान के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में हाल के दिनों में गाय को बचाने के नाम पर भीड़ द्वारा की गई हत्याओं के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन किया गया।