बिहार बालिका गृह केस : CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव कोर्ट की अवमानना के दोषी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव को बिहार के मुजफ़्फ़रपुर बालिका गृह मामले की जांच करने वाले अधिकारी एके शर्मा का तबादला करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है। शीर्ष अदालत ने उन्हें कोर्ट की कार्रवाई पूरी होने तक कोर्ट में एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई है। इसके अलावा उनपर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
तबादला आदेश के मामले में कानूनी सलाह देने वाले सीबीआई अभियोग के प्रभारी निदेशक एस. भासु राम को भी अदालत ने अवमानना का दोषी पाया और उन्हें भी वही सजा सुनाई। राव की ओर से पेश होकर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से नरमी बरतने का अनुरोध करते हुए कहा कि राव ने यह गलती जानबूझकर नहीं की है। इस पर चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, अदालत के खर्च पर एक दोषी का बचाव क्यों किया जा रहा है। राव ने जो कार्रवाई की है वह साफ तौर पर अवमानना है और इसलिए वह किसी दया के पात्र नहीं हैं।
सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर राव द्वारा जारी किए गए तबादला आदेश पर चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, अगर सुप्रीम कोर्ट को विश्वास में लेने के बाद आदेश पारित किए जाते तो क्या आसमान गिर जाता। राव की कार्रवाई पर गहरा दुख जताते हुए चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा, पिछले 20 सालों में मैंने अवमानना के अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया और किसी को भी सजा नहीं दी, लेकिन यह तो हद है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कार्रवाई करने से राव के करियर का रिकॉर्ड खराब हो जाएगा। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, अगर हम उनका माफीनामा स्वीकार कर लेते हैं तब भी उनका करियर रिकॉर्ड दागदार ही रहेगा क्योंकि उन्होंने खुद अवमानना करने की बात स्वीकार कर ली है।