लोगों को न्याय देने में अमीर-गरीब का भेद न हो : प्रधान न्यायाधीश
सत्ता विमर्श ब्यूरो
रायपुर : सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने शनिवार को कहा कि लोगों को न्याय देने में अमीर और गरीब का भेद नहीं होना चाहिए। पिछड़े, कमजोर और अशिक्षित लोगों को न केवल न्याय के लिए जरूरी विधिक मदद दी जाए, बल्कि उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें उनके अधिकार भी दिलाये जाने चाहिए।
रायपुर के भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईएम.) के प्रेक्षागृह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा 'आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण और प्रवर्तन' विषय पर आयोजित देश की पहली कार्यशाला में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि बाहर से लोग छत्तीसगढ़ को गरीब और पिछड़ा राज्य के रूप में देखते है, परंतु यहां आने के बाद चमचमाती सड़कें, ऊंची-ऊंची खूबसूरत बिल्डिंग्स और विकसित होते देशव्यापी संस्थानों को देखकर मानना पड़ेगा कि छत्तीसगढ़ आज तेजी से तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दीप प्रज्वलित कर इस एकदिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (नालसा) ने 2015 में 7 नियम भी बनाए है जिसमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों, बच्चों, मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों, नशा पीड़ितों, तस्करी एवं वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों को विधिक सेवाएं मुहैया कराना तथा आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण एवं प्रवर्तन को शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने अपने यहां के लोगों को खाद्य सुरक्षा और कौशल उन्नयन का अधिकार प्रदान किया है। प्रदेश के सभी लोगों को 50 हजार रूपए तक की स्वास्थ्य सुरक्षा का कवच मुहैया कराया गया है। जनजाति वर्ग के लिए ग्राम पंचायतों तथा विधानसभा में आरक्षण के साथ ही आदिवासी मंत्रणा परिषद, जनजाति सलाहकार परिषद तथा अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन कर उनके अधिकारों की रक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालसा ने जो नियम दिए है वह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाऐंगे।