दावोस में PM मोदी ने दिखाया दम, बोले- दुनिया को तीन सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटना होगा
सत्ता विमर्श डेस्क
नई दिल्ली/दावोस : स्विट्जरलैंड के दावोस में मंगलवार को विश्व आर्थिक मंच की 48वीं सालाना बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संरक्षणवाद यानी दुनिया के लिए अपने दरवाजे बंद करने की नीति का नया चलन आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से कम खतरनाक नहीं है। उन्होंने कहा, दुनिया के कई देश आत्मकेंद्रित हो रहे हैं। भूमंडलीकरण सिकुड़ रहा है। इस तरह की प्रवृत्तियां आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से कम खतरनाक नहीं हैं। उन्होंने तमाम वैश्विक नेताओं से अपील की कि वे साथ आएं और आपसी खाइयों को पाटने में दुनिया की मदद करें।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके तहत अमेरिका बाहर की कंपनियों और नागरिकों के लिए वहां काम करना मुश्किल बना रहा है। डोनाल्ड ट्रंप भी इसी हफ्ते दावोस पहुंचने वाले हैं। 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बाद, नरेंद्र मोदी करीब दो दशकों के बाद फोरम की बैठक में भाग लेने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले दुनिया की शीर्ष कंपनियों के सीईओ के साथ एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारत में निवेश का न्योता दिया।
भारत को वैश्विक निवेश के गंतव्य के रूप में पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां दुनिया को बढ़ते संरक्षणवाद के खिलाफ चेताया और कहा कि टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं बढ़ रही हैं, जो वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और आत्मकेंद्रित होना दुनिया की ये तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। विश्व आर्थिक मंच के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भूमंडलीय वास्तविकताओं के चलते आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की जरूरत है।
मोदी ने अपने भाषण में पिछले तीन सालों में अपनी सरकार द्वारा किए गए सुधारों को रेखांकित किया और कहा कि सरकार लालफीताशाही खत्म कर चुकी है, उसकी जगह लाल कालीन बिछा चुकी है और परिवर्तनकारी सुधारों की कार्ययोजना तैयार की है। आज भारत में निवेश, भारत की यात्रा, भारत में काम, भारत में निर्माण, भारत से उत्पादन और निर्यात दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए पहले की तुलना में आसान है, क्योंकि हमने लाइसेंस-परमिट राज को खत्म करने और लालफीताशाली को खत्म करने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में अब स्वचालित रास्ते से 90 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संभव है। पिछले साढ़े तीन साल में, सरकार ने 1,400 पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है। लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और गतिशीलता को विकास के उपकरणों के रूप में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सभी कल्याणकारी योजनाएं बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गो के उत्थान को समर्पित हैं और उनका उद्देश्य सबका विकास है।
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उन्होंने कहा, इन सुधारों ने 2025 तक भारत को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए युवाओं को काम करने के लिए प्रेरित किया है। नवाचार और उद्यमशीलता युवाओं को नौकरी की तलाश करने के बजाए नौकरी प्रदान करने वाला बनने का मौका दे रहा है। मोदी ने कहा, दुनिया के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन मुझे लगता है कि तीन मुख्य चुनौतियां हैं, जो वैश्विक समुदाय के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
उन्होंने कहा, आतंकवाद हर सरकार की चिंता है। आतंकवाद तब और भयावह हो जाता है, जब हम अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच कृत्रिम अंतर करते हैं। मोदी ने कहा कि कई समाज और देश आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, यह वैश्वीकरण प्रतीत होता है, लेकिन यह ठीक उसका उल्टा है। आज हर कोई इंटर कनेक्टेड दुनिया के बारे में बात करता है, लेकिन ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण लुप्त होता जा रहा है। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि प्रगति और विकास को वास्तव में तभी विकास कहा जा सकता है जब हर कोई इसमें हिस्सा ले सकता हो।
इससे पहले अपने भाषण की शुरूआत में प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले स्विट्जरलैंड फेडरेशन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज हम तकनीक की दुनिया में जी रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की 48वीं बैठक में शामिल होते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि 1997 में पहली बार कोई भारतीय पीएम दावोस आए थे। उस समय कि स्थिति आज से अलग थी। उस समय ना तो कोई लादेन को जानता था, ना ही हैरी पॉटर को। उस समय ना तो गूगल का अवतार हुआ था ना ही अमेजॉन पोर्टल सामने आया था।
पीएम मोदी ने कहा कि गरीबी, बरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों के नियंत्रण की समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है। हमें सोचना है कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था समाज में दरारों को तरजीह तो नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले संस्कृति में लिखे ग्रंथों में भारतीय चिंतकों ने लिखा है कि वसुधैव कुटुंबकम, इसका मतलब है कि समस्त संसार ही हमारा परिवार है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता है। उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति को बचाने का लक्ष्य रखा है। हजारों साल पहले भारत में मानव मात्र को भूमि माता पुत्रो अहम पुत्र यानी हम सभी पृथ्वी की संतान हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो आज हम पृथ्वि की संतानों में युद्ध क्यों चल रहा है।