मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, बिना संविधान संशोधन के संभव नहीं 'एक देश एक चुनाव'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : देश भर में एक साथ चुनाव कराने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे पर विधि आयोग को पत्र लिखकर एक बार फिर इस मुद्दे को गरमा दिया है। अब इस मसले पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत की टिप्पणी भी सामने आ गई है। ओपी रावत ने साफ तौर पर कहा है कि वर्तमान हालात में संविधान में बिना संशोधन के पूरे देश में एक साथ चुनाव संभव नहीं है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी कहा कि एक साथ चुनाव फिलहाल इस लोकसभा चुनाव के साथ संभव नहीं है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अगर चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराया जाए तो कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ संभव हैं। चुनाव आयुक्त ने कहा कि देश में पहले चार चुनाव एक साथ ही थे। अगर संविधान में संशोधन हो, मशीनें पर्याप्त हों और सुरक्षाकर्मी जरूरत के हिसाब से हों, तो ऐसा संभव है। इस संदर्भ में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य विधानसभाएं अगर सहमत हो जाएं तो एक साथ चुनाव कराना संभव है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार अगले साल लोकसभा चुनावों के साथ 10-11 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराने के प्रयास कर रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि एक साथ चुनाव को लेकर चुनाव आयोग 2015 में ही व्यापक सुझाव दे चुका है। चुनाव आयोग बता चुका है कि इसके लिए संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में कौन-कौन से संशोधन कराने होंगे। ओपी रावत ने कहा कि इन संशोधनों के बाद अन्य जरूरतों में पर्याप्त वोटिंग मशीन (वीवीपैट), अधिक सुरक्षाकर्मियों जैसी जरूरतों से भी अवगत करा दिया गया था।