नेहरू ने कराई थी बोस परिवार की जासूसी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : तारीख 20 अक्तूबर, 1952, स्थान- आस्ट्रिया की राजधानी विएना। आजादी के सिपाही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पत्नी एमिली शेंकल द्वारा लिखी गई चिट्ठी का एक मजमून अब आप भी पढ़ सकते हैं। एमिली ने यह पत्र कोलकाता में नेताजी के भतीजे शिशिर कुमार बोस के नाम भेजी थी जिसमें वह लिखती हैं- 'अनिता की सेहत ठीक है और उसकी पढ़ाई अच्छी चल रही है। वह लंबी हो रही है और तगड़ी भी, हालांकि अब तक मोटी नहीं कही जा सकती। अभी उसे स्कूल में अंग्रेजी सिखाई जा रही है जिसमें उसका काफी मन लगता है।'
भारत सरकार की इंटेलीजेंस ब्यूरो के कुछ दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनके बाद कांग्रेस की दूसरी सरकारों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार की जासूसी कराई थी। नेताजी की पत्नी की चिट्ठी का उक्त मजमून इसी जासूसी का हिस्सा है। यह जासूसी 1948 से 1968 के बीच हुई यानी 20 साल। खास बात यह है कि इन 20 में से 16 साल तक जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे और आईबी सीधे उन्हें रिपोर्ट करती थी क्योंकि वह पीएमओ के मातहत थी। जासूसी का खुलासा करने वाली यह फाइलें तब से ही राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
फाइलों में जिक्र है कि आईबी ने ब्रिटिश शासनकाल के तौर तरीके जारी रखे और नेताजी की मौत के बाद कोलकाता स्थित उनके दो मकानों में रहने वाले उनके परिवारवालों पर नजर रखी। इस दौरान बोस परिवार के पास आने वाले या उनके द्वारा लिखे जाने वाले पत्रों की कॉपी की जाती थी और उनकी देश-विदेश की यात्राओं पर भी नजर रखी जाती थी। आईबी का मुख्य तौर पर फोकस इस बात को जानने पर था कि नेताजी का परिवार किन लोगों से मिलता है और क्या बातचीत होती है। आईबी के एजेंट अपनी रिपोर्ट फोन या छोटे-छोटे नोट्स के जरिए आईबी मुख्यालय भेजते थे।
1950 के दशक में परिवार के सभी पत्रों की प्रतियां बनाई जाती थीं और कुछ को दिल्ली स्थित मुख्यालय में बैठे आईबी के दो अहम अफसरों से साझा किया जाता था- एक एम.एल. हूजा थे जो 1968 में आईबी के मुखिया बने और दूसरे रामेश्वर नाथ काव थे, जिन्होंने 1968 में रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस विंग (रॉ) की स्थापना की। इन सबके पीछे जो इकलौता शख्स था, उसका नाम भोला नाथ मलिक था। यह शख्स नेहरू की सरकार में आंतरिक सुरक्षा का मुखिया था जो 1948 से 1964 के बीच लगातार 16 साल तक आईबी का प्रमुख रहा। फाइलों से मिली जानकारी के मुताबिक, नेताजी के कोलकाता स्थित दो घरों की निगरानी की गई। इनमें से एक वुडबर्न पार्क और दूसरा 38/2 एल्गिन रोड पर था।
हालांकि यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि आईबी नेताजी के दोनों भतीजों (शिशिर कुमार बोस और अमिय नाथ बोस) पर नजर क्यों रखती थी। शिशिर और अमिय नाथ सरत चंद्र बोस के बेटे थे, जो कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर नेताजी के कार्यकाल में उनके सबसे ज्यादा करीब थे। इन दोनों ने कई लेटर नेताजी की पत्नी और अपनी चाची एमिली को लिखे थे, जो ऑस्ट्रिया में रहती थीं। जर्मनी में इकोनॉमिस्ट और नेताजी की इकलौती बेटी अनीता बोस ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी जताई है। अनीता का कहना है, ‘शरत चंद्र यानी मेरे चाचा 1950 तक कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे, हालांकि वे कांग्रेस लीडरशिप से सहमत नहीं थे। लेकिन मुझे हैरानी इस बात की है कि मेरे चाचा और भाईयों की जासूसी क्यों कराई गई। उनसे तो किसी को कोई खतरा ही नहीं था।’