जस्टिस जगदीश सिंह खेहर बने देश के 44वें CJI, पद की ली शपथ
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने बुधवार को देश के 44वें प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ली। वरिष्ठता क्रम में दूसरे नंबर के न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर को पूर्व प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था। बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें भारत के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद रहे।
मेमोरैन्डम ऑफ प्रोसीजर के मुताबिक, विधि एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने न्यायमूर्ति ठाकुर को नवंबर में पत्र लिखकर उनसे अपने उत्तराधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने जवाब में न्यायमूर्ति खेहर को नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी।
न्यायमूर्ति खेहर देश के 44वें प्रधान न्यायाधीश हैं। उनका कार्यकाल 27 अगस्त 2017 तक रहेगा। न्यायमूर्ति खेहर 13 सितंबर, 2011 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। इससे पूर्व वह कर्नाटक, उत्तराखंड और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पद संभाला था। जस्टिस खेहर भारत के पहले सिख प्रधान न्यायाधीश होंगे।
इससे पहले मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की नए प्रधान न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका फिर खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा, यह जनहित में ही होगा कि इसका अब पटाक्षेप किया जाये। शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति खेहर की प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली दो याचिकायें पिछले एक पखवाड़े में खारिज कर चुकी हैं।
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मंगलवार को कहा, इसी आधार पर पहले भी दो याचिकायें दायर की गयी थीं और उन्हें खारिज किया गया था। अब समय आ गया है कि इस मुद्दे को खत्म किया जाये। यह जनहित में ही होगा कि इसका पटाक्षेप किया जाये। पीठ ने तेजसिंह अशोक राव गायकवाड की याचिका खारिज करते हुये कहा कि इन्हीं आधार पर पहले भी शीर्ष अदालत ने दो याचिकाओं को सुना था और खारिज किया था।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा ने कहा कि न्यायमूर्ति खेहर को देश के नये प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिये अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को निरस्त करने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता करते हुये इससे वह खुद लाभान्वित हुये थे क्योंकि इस फैसले ने उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये कोलेजियम प्रणाली को पुनर्जीवित कर दिया था।
नेदुम्परा ने मंगलवार सुबह प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करते हुए इस पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था जिसने इसे आज ही सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने 23 दिसंबर को कहा था कि वकीलों के संगठन द्वारा दायर याचिका एक तरह से निरर्थक हो गयी है क्योंकि न्यायमूर्ति खेहर की नियुक्ति के बारे में राष्ट्रपति ने पहले ही अधिसूचना जारी कर दी है।