नीति आयोग के सीईओ की 'चिंता' ने खोली विकास के दावे की पोल!
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तेजी से तरक्की कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की वजह से देश पिछड़ा बना हुआ है। उन्होंने इन राज्यों में शिक्षा के गिरते स्तर और बढ़ती शिशु मृत्यु दर पर भी चिंता जताई। अब कांत का ये दावा ही एनडीए सरकार की विकासोन्मुखी योजनाओं को कटघरे में डालता है। दरअसल, जिन पांच राज्यों का नाम लिया वहां एनडीए गठबंधन की सरकार है।
जिन राज्यों के नाम गिनाए सभी में एनडीए की सरकार
बिहार में एनडीए सरकार अगस्त 2017 से काबिज है। उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 से वहीं मध्यप्रदेश में तो डेढ़ दशक से ज्यादा समय बीत चुका है यानी यहां शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार नवंबर 2005 से है। छत्तीसगढ़ भी मध्यप्रदेश की ही श्रेणी में आता है वहां दिसंबर 2003 से ही एनडीए काबिज है। राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया का शासन दिसंबर 2013 से चल रहा है।
मानव विकास सूचकांक में अब भी पीछे
जामिया मिलिया इस्लामिया के एक कार्यक्रम में अमिताभ कांत बोल रहे थे। उन्होंने चैलेंजेज ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया विषय पर कहा कि देश में व्यापार करने के मामले में तेजी से सुधार हुआ है, लेकिन हम मानव विकास सूचकांक में अभी पीछे हैं। इस मामले में दुनिया में 188 देशों में भारत का 133वां स्थान है। उन्होंने कहा कि मानव विकास सूचकांक में बेहतर करने के लिए हमें सामाजिक संकेतकों पर गौर करना होगा। हम आकांक्षा जिला कार्यक्रम के जरिए इस पर काम कर रहे हैं।
बच्चे मातृभाषा तक नहीं पढ़ पाते
उन्होंने कहा- हमारे सीखाने के नतीजे खराब हैं। पांचवीं कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा का सवाल कर पाने के काबिल नहीं है। कक्षा पांचवी का बच्चा अपनी मातृभाषा नहीं पढ़ सकता। शिशु मृत्युदर बहुत ज्यादा है। जब तक हम इन चीजों को दुरुस्त नहीं करते, आगे बढ़ पाना मुश्किल है।
दक्षिणी राज्यों की तारीफ की
कांत ने कहा कि भारत को बदलने की चुनौतियों को देखें तो देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। वे तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। साथ ही उन्होंने महिलाओं की सहभागिता को लेकर भी राय रखी। उन्होंने कहा कि फैसले लेने में महिलाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। यह तय करने के लिए पॉलिसियां बनाई जानी चाहिए।
आकांक्षा जिला योजना
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में "आकांक्षात्मक जिलों के परिवर्तन" कार्यक्रम देश के पिछड़े जिलों की तेजी से तरक्की के लिए शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत केंद्र और राज्य की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा भी रखी जाती है, ताकि उन्हें प्रोत्साहन मिले। कार्यक्रम का मकसद चुने गए जिलों को अपने राज्य और देश दोनों में सबसे अच्छा जिला बनाना है।