राष्ट्रपति के संबोधन में कुछ भी नया नहीं : विपक्ष
नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संसद में दिए गए अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार ने संयुक्त प्रगतिशाली गंठबंधन (संप्रग) की नीतियों को ही नए तरीके से पेश किया है।
सोनिया ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'इसमें कुछ नया नहीं है। यह संप्रग की पुरानी नीतियों का दोहराव है और उसे पेश किया जा रहा है।' लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने हालांकि, सरकार पर उद्योगपतियों के लिए काम करने का आरोप लगाया।
खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, 'सरकार का सबका साथ, सबका विकास कहां है? राजग सरकार ने सभी का समर्थन लिया, लेकिन यह सिर्फ उद्योगपतियों और कॉरपोरेट के लिए काम कर रही है। जो कानून वे बना रहे हैं, वह सिर्फ किसानों से उनकी जमीन छीन लेगी।' खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति ने जिस कौशल विकास कार्यक्रम की बात की थी, वह संप्रग की नीति थी।
जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने भी कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ नया नहीं है क्योंकि यह प्रधानमंत्री के पहले के भाषणों का ‘दोहराव मात्र’ है। भाषण बहुत लंबा था और लोगों को नींद आने लगी थी। अभिभाषण में ‘सबका साथ सबका विकास’ के जिक्र के बारे में पूछे जाने पर शरद यादव ने कहा, ‘यह कहीं नहीं दिख रहा है। सरकार उत्सव के मूड में लगती है।’ अध्यादेशों के मुद्दे पर जेडीयू नेता ने कहा कि अगर सब कुछ अध्यादेश से ही हो सकता है तो फिर संसद की क्या जरूरत है।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘हां! मैंने अभिभाषण ध्यानपूर्वक सुना। राष्ट्रपति का अभिभाषण हमेशा केंद्र की नीति को प्रदर्शित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार काम कम, बातें ज्यादा कर रही है। कम से कम राष्ट्रपति के अभिभाषण से तो ऐसा ही संकेत मिलता है।’ बसपा प्रमुख ने भूमि अध्यादेश के मुद्दे पर पार्टी के रुख के बारे में अपने पत्ते नहीं खोले। उन्होंने कहा कि वे अपनी रणनीति का खुलासा सदन के पटल पर करेंगी।
भूमि अध्यादेश पर अन्ना हजारे के आंदोलन के बारे में उनकी राय पूछे जाने पर मायावती ने कहा कि यह किसानों के हित में है। उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी ने शुरू से ही अध्यादेश का विरोध किया है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी हजारे के आंदोलन का समर्थन करेगी, मायावती ने कहा, ‘हमारी पार्टी अन्ना हजारे के जंतर मंतर पर आने के पहले भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध कर रही थी। हम अन्ना का अनुसरण नहीं कर रहे हैं। हमारी पार्टी की अपनी नीति है। जब तक सरकार भूमि अधिग्रहण नीति में बदलाव नहीं करती, हम इसका जोरदार विरोध करेंगे क्योंकि यह किसानों के हित में नहीं है।’