अब इंजीनियरिंग के छात्र पढ़ेंगे वेद-पुराणों के सूक्त
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) की तरफ से एक नया फरमान जारी किया गया है। काउंसिल इंजीनियर्स को तकनीक के साथ-साथ भारतीय परम्परा का पाठ भी पढ़ाने के लिए तत्पर है। इसे ज्ञान अर्जन के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है यानी इंजिनियर अब न्यूटन के सिद्धांतों के साथ हमारे शास्त्रविदों की सिखाई के जरिए तकनीकी विकास करेंगे। दरअसल, काउंसिल ने नया पाठ्यक्रम जारी किया है।
इस नए करिकुलम के तहत इंजीनियर बनने के लिए एक छात्र को अब तक मशीनों, सॉफ्टवेयर्स, बिग डेटा और दूसरी तकनीकी चीजें पढ़ना होती थी लेकिन अब उन्हें इनके साथ ही वेद, पुराण और योग का भी अध्ययन करना होगा। बुधवार को जारी किए गए नए करिकुलम में छात्रों को वेद पुराण के अलावा पर्यावरण और संविधान के बारे में भी पड़ना होगा। नए करिकुलम में छात्रों पर से थेयरी का बोझ कम करते हुए प्रैक्टिकल को बढ़ावा दिया गया है।
नए पाठ्यक्रम को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लॉंच किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नया सिलेबस मॉडल करिकुलम बनाकर छात्रों के हित में तैयार किया गया है। इससे इंजीनियरिंग छात्रों को समाज और इंडस्ट्री की जरूरत से कनेक्ट होने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि पाठ्यक्रम को नए सिरे से तैयार किया गया है। भारतीय परंपराओं के ज्ञान वाले इन कोर्स में भारतीय दार्शनिक भाषा योग और कलात्मक परंपराओं पर ध्यान दिया जाएगा इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य तर्क और तर्क आधारित नतीजों पर पहुंचने के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में बताना है।
बदले पाठ्यक्रम में और क्या?-
प्रैक्टिल पर ज्यादा जोर
मॉडल करिक्युलम इस साल से लागू होगा। सभी इंजिनिरिंग कॉलेजों ने इसे लेकर सहमति भी जताई है। अब बीटेक में स्टूडेंट्स के लिए 220 क्रेडिट पॉइंट को घटाकर 160 क्रेडिट कर दिया गया है। एआईसीटीई चेयरमैन अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा कि इससे स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल का और अनुभव हासिल करने का ज्यादा मौका मिलेगा। पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स में भी जो 2 साल का होता है, एक साल की पढ़ाई रखी गई है और एक साल प्रैक्टिकल का होगा। जिसमें स्टूडेंट्स इंडस्ट्री में और सोसाइटी में जाकर प्रैक्टिकल अनुभव लेंगे।
इंटर्नशिप अनिवार्य
मॉडल करिक्युलम में सभी छात्रों के लिए इंटर्नशिप अनिवार्य की गई है। दूसरी छमाही के बाद गर्मी की छुट्टियों में 4-6 हफ्ते का व्यावहारिक प्रशिक्षण होगा। चौथी छमाही के बाद गर्मी की छुट्टियों में भी 4-6 हफ्ते की इंटर्नशिप होगी जो इंडस्ट्री, सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों के साथ हो सकती है। छठी छमाही के बाद गर्मी की छुट्टियों में 6-8 हफ्तों की इंटर्निशिप होगी, जिसमें परियोजना कार्य (project work)भी करना होगा। आठवीं छमाही में भी प्रॉजेक्ट वर्क होगा। इंटर्नशिप अधिकतम 14 क्रेडिट की होगी। यह फुलटाइम भी हो सकती है और पार्टटाइम भी। एक क्रेडिट 40-45 घंटे काम का होगा। प्रॉजेक्ट वर्क, हायर इंस्टिट्यूशन के साथ ट्रेनिंग, सरकारी, गैरसरकारी, स्टार्टअप या एमएसएमई के साथ इंटर्नशिप, ऐक्स्ट्रा करिक्युलम ऐक्टिविटी, वॉलनटिअरी कम्युनिटी सर्विस, कॉन्फ्रेंस, वर्कशॉप और कॉम्पिटिशन में भागीदारी, इंस्टिट्यूट की इनोवेशन सेल में भागीदारी और रिसर्च प्रॉजेक्ट को भी अनिवार्य किया गया है।
यह सब सभी स्टूडेंट्स को करने होंगे। कम्युनिटी सर्विस में लोकल स्कूल को अच्छा रिजल्ट हासिल करने और एनरोलमेंट बढ़ाने में मदद, गांव वालों की इनकम बढ़ाने के लिए प्लान तैयार करना, वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम बनाने, टूरिजम बढ़ाने के लिए नए प्रयोग करने जैसी ऐक्टिविटी शामिल हो सकती है। हर इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग ऐंड प्लेसमेंट सेल होना कम्पल्सरी होगा। साथ ही इंडक्शन प्रोग्राम को भी लंबी अवधि का किया जाएगा।
शिक्षकों की भी प्रशिक्षण
तकनीकी शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए भी राष्ट्रीय नीति का ड्राफ्ट बनाया गया है। जिसे अगले महीने एआईसीटीई को सौंपा जाएगा। इसमें कहा गया है कि टेक्निकल टीचर्स को नौकरी में नियुक्ति से पहले एक साल की ट्रेनिंग जरूरी होगी। साथ ही सर्विस के दौरान भी ट्रेनिंग का प्रावधान है। नैशनल पॉलिसी को लागू करने के लिए एक नैशनल एपेक्स बॉडी और एआईसीटीई में ब्यूरो बनाने का प्रस्ताव है। टीचर्स ट्रेनिंग के लिए मेंटॉर इंस्टिट्यूट तय करने का भी प्रस्ताव है। इंजिनियरिंग स्टूडेंट्स की क्वॉलिटी को लेकर कई बार इंडस्ट्री की तरफ से भी सवाल उठाए गए हैं। जिसके बाद यह प्लान तैयार किया गया कि करिक्युलम अपडेट किया जाए साथ ही टीचर्स ट्रेनिंग पर भी फोकस किया जाए।