प्रॉपर्टी को भी आधार से जोड़ने को अनिवार्य कर सकती है सरकार
सत्ता विमर्श डेस्क
नई दिल्ली : मोबाइल नंबर और बैंक खातों के बाद जल्द ही आपको अपना घर भी आधार से लिंक कराना पड़ सकता है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने इस ओर इशारा किया है। इसके अलावा मोदी सरकार आने वाले समय में बैंकों में मिलने वाली चेक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है।
ईटी नाऊ से बातचीत में हरदीप पुरी ने कहा कि कालेधन पर लगाम कसने के लिए यह कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी को आधार से लिंक करने से कालेधन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। हरदीप पुरी ने कहा कि प्रॉपर्टी को आधार से जोड़ने का विचार अच्छा है। हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि फिलहाल वह ऐसी कोई घोषणा अभी नहीं कर रहे हैं, लेकिन जब हम बैंक खाते को आधार से जोड़ रहे हैं तो प्रॉपर्टी के मामले में भी ऐसा किया जा सकता है।
हरदीप पुरी की तरफ से किया गया यह इशारा इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बेनामी संपत्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दे चुके हैं। ऐसे में कार्रवाई के लिए हो सकता है कि पहला कदम आधार को लिंक करने के तौर पर ही उठाया जाए। इसके अलावा मोदी सरकार लगातार आधार को सभी जरूरी सेवाओं से जोड़ने की प्रक्रिया में लगी हुई है। मोबाइल नंबर, बैंक खाता और पोस्ट ऑफिस स्कीम्स के अलावा अन्य कई दस्तावेज आपको आधार से लिंक करने जरूरी हैं।
31 दिसंबर तक जहां आपको अपना बैंक खाता आधार से लिंक करना है, वहीं 6 फरवरी तक आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक करना जरूरी है। बैंक खाते के अलावा म्युचुअल फंड, बीमा पॉलिसी समेत अन्य कई दस्तावेज हैं, जो आपको आधार से लिंक कराने हैं। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपको मिलने वाली सेवाओं पर इसका असर पड़ सकता है।
नोटबंदी के बाद अब चेकबंदी कर सकती है मोदी सरकार
पिछले साल की गई नोटबंदी के बाद से ही मोदी सरकार की लगातार कोशिश है कि देशभर में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया जाए ताकि भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाई जा सके और इसी उद्देश्य से अब केंद्र की मोदी सरकार बैंकों में मिलने वाली चेक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का कहना है कि मोदी सरकार जल्द ही चेक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश जारी कर सकती है। संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सरकार क्रेडिट और डेबिट कार्डों के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है और इसे अधिक सुचारु और लोकप्रिय बनाने के लिए वह चेकबुक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है।