अब शौरी ने विकास की गति और सरकार पर किया वार, बोले- सरकार सच सुनने को नहीं तैयार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: एनडीए सरकार की आर्थिक नीतियों पर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लगातार सवाल खड़े कर रहें हैं। यशवंत सिन्हा की चुप्पी टूटने के बाद अरुण शौरी ने मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को लेकर अपनाये जा रहे रुख पर सवाल खड़े किए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि सरकार को फिलहाल ढाई लोग चला रहे हैं और जो कदम उठाये जा रहें हैं वो आत्महत्या के समान है। हाल ही में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा था कि इकोनॉमी में तो पहले से ही गिरावट आ रही थी, नोटबंदी ने तो सिर्फ आग में घी का काम किया।
साहसिक नहीं खुदकुशी जैसी है नोटबंदी
शौरी ने सरकार के खिलाफ अपना गुबार खबरिया चैनल NDTV पर निकाला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रात को कहा कि नोटबंदी होनी चाहिए। ये एक साहसिक कदम था। ये ध्यान रखिए कि खुदकुशी करना भी एक साहसी कदम होता है। आप भले ही नोटबंदी को साहसिक कदम बताएं लेकिन ये खुदकुशी करने जैसा मामला है। शौरी ने आगे कहा- सरकार ने नोटबंदी के समर्थन में जो तर्क दिए, क्या आज भी वो जिंदा हैं? क्या ब्लैक मनी पूरी तरह से व्हाइट हो गई? आतंकी आज भी भारत आ रहे हैं। आज सरकार के पास कुछ भी कहने को नहीं है।
शाह पर उठाये सवाल
शौरी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री मोदी के खासमखास अमित शाह को की समझ पर भी सवाल उठाये। हाल ही में शाह ने तकनीकी कारणों को मौजूदा मंदी की वजह बताई थी। इसी पर शौरी ने कहा कि शाह क्या मशहूर इकोनॉमिस्ट हैं? आप सरकारी आंकड़ों को बहुत देर तक छिपाकर नहीं रख सकते। जो सरकार चला रहे हैं वे कोई भी सच या सलाह सुनना नहीं चाहते।
ढाई लोगों की सरकार
शौरी ने प्रधानमंत्री मोदी, शाह और जेटली पर एक साथ तंज कसा और इनकी प्रतिभा पर भी शंका जाहिर की। उन्होंने कहा- ये महज ढाई लोगों की सरकार है। एक नरेंद्र मोदी, दूसरे अमित शाह और तीसरे घर के वकील हैं। ये लोग कोई खास काबिलियत नहीं रखते। इनके आसपास जो लोग भी हैं, उनके पास भी महारत नहीं है।
शौरी ने पूर्व के वित्त मंत्रियों के विचारों से सहमति जताई। साथ ही वर्तमान सरकार को इनसे कुछ सीखने और विभिन्न सर्वेक्षणों का संज्ञान लेने की की सलाह भी दी। उन्होंने कहा- ये लोग एक बंद कमरे में बैठे हुए हैं। बाहर क्या हो रहा है, ये इन्हें सुनाई नहीं देता। आरबीआई ने छोटे-मझोले कारोबारियों को संकट में डाल दिया। यशवंत सिन्हा, पी. चिदंबरम और दूसरे इकोनॉमिस्ट लगातार बोल रहे हैं। इकोनॉमिक सर्वे, आरबीआई सर्वे में भी सच सामने आया है। जीडीपी लुढ़ककर 3.7 पर आ गई है। 2015-16 में जो इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 9% था, जो इस साल अप्रैल-जुलाई में घटकर सिर्फ 1.7% रह गया। ये चिंता की बात है।
यशवंत सिंह ने भी उठाये थे सवाल
यशवंत ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' में आर्टिकल लिखा था। इसके मुताबिक- निजी क्षेत्र में निवेश लगातार कम हो रहा है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन करीब-करीब खत्म हो चुका है। एग्रीकल्चर-कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की हालत भी ठीक नहीं कही जा सकती। सर्विस सेक्टर में धीमा ग्रोथ रेट है। एक्सपोर्ट कम होने का असर इकोनॉमी पर साफ देखा जा सकता सकता है।