कश्मीर पर मध्यस्थता : ट्रम्प के बयान से पीएम मोदी की किरकिरी, सड़क से संसद तक हंगामा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का यह बयान कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कश्मीर मसले में मध्यस्थता करने को कहा था से नरेंद्र मोदी की भारी फजीहत हो रही है और संसद में विपक्ष उनसे इस संबंध में असलियत क्या है को लेकर जवाब मांग रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ सोमवार को एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह बयान दिया। मालूम हो कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान तीन दिन के अमेरिकी दौरे पर हैं।
संसद में विपक्ष का हंगामा, पीएम से मांगा जवाब
डोनाल्ड ट्रंप के सनसनीखेज बयान को लेकर मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन में बयान देने की मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्य सभा में कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमें डोनाल्ड ट्रंप पर यकीन है लेकिन पीएम को सदन में आकर अपना पक्ष साफ करना चाहिए। पीएम के बयान की मांग करते हुए विपक्ष ने सदन से वॉकआउट भी किया। हालांकि पीएम मोदी तो सामने नहीं आए, लेकिन कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जरूर संसद के दोनों सदनों में कहा कि कश्मीर मसले पर हम अपने पहले के रुख पर कायम हैं। कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय मुद्दा है और इससे जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान भारत और पाकिस्तान ही मिलकर करेंगे। हम शिमला, लाहौर समझौते के आधार पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी कश्मीर मामले पर मध्यस्थता के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से नहीं कहा।
दरअसल, प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति से बातचीत के लिए पहली बार व्हाइट हाउस पहुंचे थे, जहां उनकी बातचीत से पहले पत्रकारों ने उन दोनों से सवाल किया था कि क्या उपमहाद्वीप में शांति लाने में अमेरिका की कोई भूमिका है। इस पर इमरान ने जवाब दिया कि उन्होंने भारत से शांति वार्ता की कोशिश की हैं, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं।
इमरान खान के ट्रम्प के वार्ता प्रक्रिया में मदद करने की बात पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि वे दो हफ्ते पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे और उस दौरान मोदी ने उनसे कश्मीर मसले में मध्यस्थ बनने की पेशकश की थी। नरेंद्र मोदी और ट्रम्प जी-20 सम्मेलन में ओसाका में मिले थे। ट्रम्प ने कहा, मैं दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था… हमने इस विषय पर बात की। असल में उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं मध्यस्थ या आर्बिट्रेटर (पंच) बनना पसंद करूंगा। मैंने पूछा कहां? तो उन्होंने कहा कश्मीर, क्योंकि यह मसला सालों-साल से चला आ रहा है।
जब ट्रम्प ने कहा कि वे यह जानकर आश्चर्यचकित थे कि यह मसला कितने सालों से चला आ रहा है, तब इमरान ने जोड़ा, 70 सालों से।
ट्रम्प ने कहा, मैं सोचता हूं कि आप (पीएम मोदी) इस मसले को सुलझाना चाहते हैं और अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मैं मध्यस्थ बनने को तैयार हूं। इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि दो इतने समझदार देश, जिनके पास समझदार नेतृत्व भी है, इस मसले को सुलझा नहीं सके… लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, मैं ऐसा करना चाहूंगा। ट्रम्प के ऐसा कहने पर इमरान ने कहा कि अगर ट्रम्प ऐसा कर सके तो उन्हें लाखों लोगों की दुआएं मिलेंगी। इस पर ट्रम्प ने कहा, इसे ख़त्म होना ही चाहिए, इसलिए उन्हें (मोदी को) भी ऐसा सोचना होगा। हो सकता है कि हम या केवल मैं ही उनसे इस बारे में बात करूंगा और देखेंगे कि इस पर क्या कर सकते हैं।
अपने बयान में ट्रम्प ने कश्मीर में हो रही हिंसा का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, मैंने कश्मीर के बारे में बहुत सुना है। यह कितना सुंदर नाम है, लगता है कि यह दुनिया का कितना खूबसूरत हिस्सा होगा.. लेकिन आज वहां हर जगह केवल बमबारी है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत को कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए किसी मदद की ज़रूरत है। हालांकि भारत सरकार की ओर से ट्रम्प के मथ्यस्थता संबंधी इस दावे को नकार दिया गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा कि जैसा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा कहा गया है कि भारत ने उनसे कश्मीर मसले पर भारत पाक के बीच मध्यस्थता करने को कहा, ऐसा नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसा कोई निवेदन नहीं किया गया है। उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि भारत-पाकिस्तान की बातचीत की शर्त अब भी यही है कि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को ख़त्म करे, तब ही किसी तरह की वार्ता संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि शिमला समझौते और लंदन घोषणा पत्र भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का आधार हैं।
विपक्षी दलों ने साधा निशाना
राष्ट्रपति ट्रम्प के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे को लेकर कांग्रेस ने सोमवार रात मोदी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि यह देश के साथ विश्वासघात है जिस पर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के लिए कहा था। यदि इस बयान में सच्चाई है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों और शिमला समझौते से धोखा किया है। विदेश मंत्रालय द्वारा इसे खारिज किए जाने से बात नहीं बनेगी। प्रधानमंत्री मोदी को बताना होगा कि आखिर उनके और ट्रंप के बीच बैठक में क्या हुआ था। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, भारत ने जम्मू-कश्मीर में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं किया. किसी विदेशी शक्ति से जम्मू-कश्मीर में मध्यस्थता के लिए कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के हितों के साथ बड़ा विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर प्रधानमंत्री देश को जवाब दें।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी ट्वीट किया, ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि ट्रम्प को इस बात का थोड़ा भी अंदाजा है कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। उन्हें या तो समझाया नहीं गया है या समझ नहीं आया है कि (प्रधानमंत्री) मोदी क्या कह रहे हैं या फिर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर भारत की स्थिति क्या है। विदेश मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि दिल्ली ने कभी इसकी (तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की) हिमायत नहीं की है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आश्चर्य जताया कि भारत सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति को झूठा कहेगी या फिर इस विवाद में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर भारत ने अपनी स्थिति बदल ली है। अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रम्प चौंकाने वाली बात कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में अमेरिका को शामिल होने का अनुरोध किया है, हालांकि मैं यह देखना चाहता हूं कि क्या ट्रम्प के दावे पर विदेश मंत्रालय उन्हें मदद के लिये कहेगा। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि क्या ‘ट्विटर फ्रेंडली प्रधानमंत्री’ में साहस है कि वह सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान देने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति को जवाब दें।