इंदिरा के बहाने PM मोदी पर एनसीपी मुखिया पवार ने किया प्रहार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुम्बई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने नोटबंदी की बहस में इंदिरा गांधी को घसीटने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ा प्रहार किया और सवाल पूछा कि उनके बाद आए अटल बिहारी वाजपेयी समेत अन्य प्रधानमंत्रियों ने नोटबंदी का यह फैसला क्यों नहीं किया।
एनसीपी नेता ने कहा कि पीएम मोदी ऐसा बयान देकर खुद को इंदिरा गांधी से बड़ा नेता पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। पवार ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘नरेंद्र मोदी के अनुसार इंदिरा गांधी नोटबंदी पर आगे नहीं बढ़ीं जिसका उनके वित्त मंत्री वाई.बी. चव्हाण ने सुझाव दिया था। ऐसे तो उनके बाद अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई प्रधानमंत्रियों एवं वाजपेयी शासनकाल में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा या तत्कालीन उपप्रधानमंत्री एलके आडवाणी ने भी ऐसा फैसला नहीं किया।’
मालूम हो कि पीएम मोदी ने शुक्रवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में यह दावा करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर निशाना साधा था कि 1971 में उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री वाई.बी. चव्हाण के नोटबंदी के सुझाव को नजरअंदाज किया। पवार ने कहा, यह कहना सही नहीं है कि पिछले 70 सालों में देश में कुछ नहीं हुआ। 70 सालों में कांग्रेस हमेशा सत्ता में नहीं रही। मोदी खुद ही 13 सालों तक एक राज्य के मुख्यमंत्री थे।’
उन्होंने कहा, ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई और चरण सिंह समेत सभी नेताओं ने देश के विकास में योगदान दिया। कोई कैसे कह सकता है कि 70 सालों में कुछ नहीं हुआ और विकास महज दो सालों से हो रहा है।’ पवार ने कहा कि उन्होंने नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया था क्योंकि यह कालेधन की समाप्ति के लिए अच्छा था। लेकिन उसका क्रियान्वयन त्रुटिपूर्ण रहा। मेरी राय में आम आदमी के सामने आ रही परेशानियों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस बयान पर कि अगर वह संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी भ्रष्टाचार के बारे में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा, पर चुटकी लेते हुए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि सदन में सांसद इस बात को लेकर चिंतित थे कि ऐसा होने पर उनका क्या हाल होगा।
राहुल गांधी के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘संसद सदस्य डरे हुए थे और चिंतित थे कि भूकंप के बाद वे संसद भवन से बाहर कैसे निकलेंगे। लेकिन चूंकि कोई भूकंप नहीं आया तो लगा कि अब हम शांति से सो सकते हैं।’ संसद के शीतकालीन सत्र के एक तरह से बेकार चले जाने के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि उन्होंने अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में संसद या विधानसभा में कभी सत्तारूढ़ पार्टी को कार्यवाही बाधित करते नहीं देखा।