शरद के पक्ष में और नीतीश के खिलाफ पटना की सड़क पर उतरे लोग
सत्ता विमर्श ब्यूरो
पटना: जनता दल युनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव की बर्खास्तगी की आग संसद से सड़क तक पहुंच गई है। अपने नेता के पक्ष में पटना की सड़कों पर लोग जुटे और राजभवन तक मार्च किया। लोगों ने शरद के समर्थन में और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोध में नारे भी लगाए और तख्तियां भी लटकाईं। दरअसल, जदयू से निकाले जाने के बाद राज्यसभा में भी उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया है।
हाल ही में उप-राष्ट्रपति ने सदस्यता खत्म करने के मद्देनजर शरद यादव और अनवर अली को नोटिस थमाया था। दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जद (यू) गुट ने यादव और अंसारी की अयोग्यता के लिए याचिका दायर की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ फिर से जुड़ने के लिए राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस संग अपने महागठबंधन को तोड़ दिया था, जिसके बाद शरद, अंसारी और जदयू का एक धड़ा नीतीश से अलग हो गया था। पिछले महीने निर्वाचन आयोग ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाले गुट को ही असली पार्टी बताया था और उसे चुनाव चिन्ह तीर का इस्तेमाल करने की अनुमति भी दी थी।
इस फैसले को शरद यादव ने असंवैधानिक बताया था और अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपनी और अपने साथी सांसद अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने के राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के फैसले पर शरद यादव की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'संवैधानिक प्रश्न यह है कि भारत निर्वाचन आयोग तथा राज्यसभा के सभापति जब संसद के बनाये हुए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 (ए) के अनुसार पंजीकृत राजनैतिक दल के निर्वाचित पदाधिकारियों की वैधता का निर्धारण उनके क्षेत्राधिकार में नहीं है, फिर वे किस क्षेत्राधिकार से तथाकथित असंवैधानिक एवं फर्जी तरीके से निर्वाचित स्वयंभू पार्टी पदाधिकारियों की सूचना या याचिका के आधार संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रावधानों एवं नियमों की व्याख्या कर शरद यादव एवं अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म की और जिन तथाकथित याचिकाकर्ता राम चन्द्र प्रसाद सिंह की सदस्यता ख़त्म करना चाहिए उसपर मौन रहकर उन्हें क्यों बचा रहे हैं। '
इस मसले पर यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका भी डाली है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि अधिकारियों ने उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिए बिना ही राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने का आदेश दे दिया।