पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का किया उद्घाटन, विरोधियों पर छोड़े तीर
सत्ता विमर्श ब्यूरो
केवडिया (गुजरात) : सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में सबसे ऊंची उनकी प्रतिमा 'स्टैचू ऑफ यूनिटी' का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने 'देश की एकता, जिंदाबाद' का नारा लगाते हुए 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के लिए पटेल के दिखाए रास्ते पर चलते रहने का आह्वान किया। इशारों-इशारों में कांग्रेस पर शब्दभेदी तीर छोड़ते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज देश के उन सपूतों का सम्मान हो रहा है जिन्हें चाहकर भी इतिहास में भुलाया नहीं जा सकता। मोदी ने कांग्रेस पर पटेल का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा। हालांकि उन्होंने अपने संबोधन में कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी का कोई जिक्र नहीं किया लेकिन यह जरूर कहा कि आज अगर हम महापुरुषों की प्रशंसा करते हैं तो उसके लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है।
पीएम मोदी ने कहा, 'किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं जब वे पूर्णता का एहसास कराते हैं। ये वो पल होते हैं जो किसी राष्ट्र के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाते हैं और उसे मिटा पाना बहुत मुश्किल होता है। आज का यह दिवस भी भारत के इतिहास के कुछ ऐसा ही क्षण लेकर आया है जो महत्वपूर्ण है। भारत की पहचान, भारत के सम्मान के लिए समर्पित एक विराट व्यक्तित्व को उचित स्थान नहीं दे पाने का अधूरापन लेकर आजादी के इतने वर्षों तक हम चल रहे थे, आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास के एक स्वर्णिम पुरुष को उजागर करने का काम किया है।'
पीएम मोदी ने स्टैचू ऑफ यूनिटी का अनावरण करने के बाद कहा, 'आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास रचा है बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुंबी आधार भी तैयार किया है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस प्रतिमा को देश को समर्पित करने का अवसर मिला है। जब गुजरात के सीएम के तौर पर हमने इसकी परिकल्पना की थी तो यह अहसास नहीं था कि पीएम के तौर पर मुझे ही यह पुण्य काम करने का मौका मिलेगा। आज मुझे वे पुराने दिन याद आ रहे हैं और आज जी भरकर बहुत कुछ कहने का मन करता है। जब यह विचार मैंने सामने रखा था तो शंकाओं का वातावरण भी सामने आया था। देशभर के गांवों के किसानों से मिट्टी मांगी गई थी, खेती में इस्तेमाल किए गए पुराने औजारों को इकट्ठा करने का काम चल रहा था। जब उनके द्वारा दिए गए औजारों से सैकड़ों मीट्रिक टन लोहा निकला तब प्रतिमा का ठोस आधार तैयार किया गया।'
पीएम मोदी ने बताया कि पहले उन्होंने सोचा था कि एक बड़ी चट्टान को काटकर प्रतिमा बनाई जाए। उस समय मैं पहाड़ों में चट्टान खोज रहा था ताकि नक्काशी से प्रतिमा बने। लेकिन इतनी बड़ी और ताकतवर चट्टान नहीं मिली। मैं लगातार सोचता रहता था, विचार करता रहता था। आज जन-जन ने इस विचार को शीर्ष पर पहुंचा दिया। दुनिया की यह सबसे ऊंची प्रतिमा पूरी दुनिया को, हमारी भावी पीढ़ी को उस व्यक्ति के साहस औक संकल्प की याद दिलाती रहती रहेगी जिसने मां भारती को खंड-खंड करने की साजिश को नाकाम किया था। जिस महापुरुष ने उस समय की सारी आशंकाओं को नकार दिया जो उस समय की दुनिया भविष्य के भारत के लिए जता रही थी। ऐसे लौह पुरुष सरदार पटेल को शत-शत नमन।'
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'सरदार पटेल का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था जब मां भारती साढ़े पांच सौ से अधिक रियासतों में बंटी पड़ी थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी। निराशावादी उस जमाने में भी थे। उन्हें लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा। निराशाओं के उस दौर में सभी को उम्मीद की एक किरण दिखती थी और वह थे सरदार वल्लभभाई पटेल। उनमें कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था। उन्होंने 5 जुलाई 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था कि विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, वैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है।'
मोदी ने कहा, 'सरदार साहब के इसी संवाद से एकीकरण की शक्ति को समझते हुए राजे रजवाड़ों ने अपने राज्यों का विलय कर दिया था। देखते ही देखते भारत एक हो गया। सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों राजे-रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी। हमें राजा-रजवाड़ों के इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए। मेरा एक सपना है कि इसी स्थान से जोड़कर राजे-रजवाड़ों का भी एक वर्चुअल म्यूजियम तैयार हो ताकि उनका योगदान भी याद रहे।'
पीएम मोदी ने कहा, 'यह देशभर के उन किसानों के स्वाभिमान का प्रतीक है, जिनकी खेत की मिट्टी से और खेत के साजों सामान का लोहा इसकी नींव बनी। हर चुनौती से टकराकर अन्न पैदा करने की उनकी भावना इसकी आत्मा बनी है। यह उन आदिवासी भाई बहनों के योगदान का स्मारक है। यह ऊंचाई, बुलंद भारत के युवाओं को यह याद दिलाने के लिए है कि भविष्य का भारत आपकी आकांक्षाओं का है जो इतना ही विराट है। इन आकांक्षाओं को पूरा करने का मंत्र एक ही है, 'एक भारत श्रेष्ठ भारत।' पीएम ने आगे कहा, 'स्टैचू ऑफ यूनिटी हमारी इंजिनियरिंग और तकनीकी सामर्थ्य का भी प्रतीक है। साढ़े तीन सालों में रोज औसतन ढाई हजार शिल्पकारों ने मिशन मोड में काम किया। देश के गणमान्य शिल्पकाल रामसुतार जी की अगुवाई में देश के अद्भुत शिल्पकारों की टीम ने कला के इस गौरवशाली स्मारक को पूरा किया है।'
मोदी ने स्टैचू ऑफ यूनिटी की तुलना सरदार सरोवर डैम से करते हुए भी परोक्ष रूप से कांग्रेस की पिछली सरकारों पर तंज कसा। पीएम ने कहा, 'सरदार सरोवर बांध का शिलान्यास कब हुआ, कितने दशकों के बाद उसका उद्घाटन हुआ, यह तो आपकी आंखों के सामने देखते-देखते हो गया। आज जो यह सफर एक पड़ाव तक पहुंचा है उसकी यात्रा 8 साल पहले आज के ही दिन शुरू हुई थी। 31 अक्टूबर 2010 को अहमदाबाद में मैंने इसका विचार सबके सामने रखा था। करोड़ों भारतीयों की तरह तब मेरी भावना थी कि जिस महापुरुष ने देश को एक करने के लिए इतना बड़ा पुरुषार्थ किया उसका वह सम्मान जरूर मिलना चाहिए जिसका वह हकदार है। मैं चाहता था कि यह सम्मान भी उन्हें उस किसान, कामगार के पसीने से मिले जिसके लिए सरदार पटेल ने जीवन भर संघर्ष किया था। आज का सहकारी आंदोलन जो देश के अनेक गांवों की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बना है यह उनकी ही दिव्य दृष्टि का परिणाम है। यह स्मारक देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है। इससे हजारों आदिवासी भाई बहनों को हर साल सीधा रोजगार मिलने वाला है।'
ऐसे पहुंच सकते हैं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक
सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को आम लोगों के पर्यटन के लिए 1 नवंबर यानी गुरुवार से खोल दिया जाएगा। स्टैचू ऑफ यूनिटी गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में साधु आईलैंड में स्थित है। इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रॉजेक्ट कहा जाता है। यह विशाल प्रतिमा 7 किमी की दूरी से भी नजर आती है। अगर आप सोच रहे हैं कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखना चाहिए तो निश्चित रूप से आप योजना बनाकर निकल सकते हैं। जैसा कि आपको पता है कि यह स्थल केवड़िया में है। इस जगह पर पहुंचने के लिए फिलहाल एयरपोर्ट और रेल लाइन के लिए वडोदरा सबसे नजदीक है। यह केवड़िया से 89 किमी दूर है। यहां से सड़कमार्ग के जरिए केवड़िया पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा भरूच भी नजदीकी रेलवे स्टेशन है। अगर आप अहमदाबाद से आएंगे तो आपको 200 किमी की दूरी तय करनी होगी। इसके अलावा साबरमती रीवरफ्रंट से पंचमुली लेक तक सीप्लेन सेवा चलाए जाने की भी योजना है। केवड़िया पहुंचने के बाद आपको साधु आइलैंड तक आना होगा। केवड़िया से साधु आइलैंड तक 3.5 किमी तक लंबा राजमार्ग भी बनाया गया है। इसके बाद मेन रोड से स्टैच्यू तक 320 मीटर लंबा ब्रिज लिंक भी बना हुआ है। यहां ठहरने के लिए गुजरात सरकार की तरफ से दो टेंट सिटी का निर्माण किया गया है। इसमें एक में 50 और दूसरे में 200 टेंट हैं। इसके अलावा स्टैच्यू से 3 किमी की दूरी पर 52 कमरों वाला एक थ्री स्टार होटल श्रेष्ठ भारत भवन कॉम्प्लेक्स भी मौजूद है।
बेहद खास है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
भारत के आयरन मैन कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में गुजरात में 'स्टैचू ऑफ यूनिटी' का निर्माण किया गया है। इस मूर्ति की कई ऐसी खासियत है, जिसे दुनिया में पहले कभी नहीं देखा गया। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है। देखने में प्रतिमा जितनी भव्य लगती है, इंजिनियरिंग का भी यह अद्वितीय उदाहरण है। प्रतिमा अपने आप में 157 मीटर ऊंची है और मूर्तितल के साथ ऊंचाई बढ़कर 182 मीटर हो जाती है। नर्मदा के मध्य में इस मूर्ति का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यह 180 किमी प्रति घंटे की तेज हवाओं को भी आसानी से झेल सकती है। आमतौर पर 6 की तीव्रता का भूंकप खतरनाक होता है। इसमें जानमाल का भी नुकसान हो सकता है। पिछले साल इंडोनेशिया और मेक्सिको में 6.5 की तीव्रता के भूकंप आए थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। हालांकि इस प्रतिमा की खासियत यह है कि 10 किमी की गहराई में 6.5 की तीव्रता के भूकंप को यह आसानी से झेल सकती है। 12 किमी की दूरी में कहीं भी भूकंप आया, इस पर कोई असर नहीं होगा। बांध के आसपास के इलाके में पिछले 100 वर्षों में रेकॉर्ड किए गए सबसे ऊंचे फ्लड लेवल से भी ऊंचा स्टैचू का बेस रखा गया है।
इसे इंजिनियरिंग का कमाल ही कहा जाएगा कि वॉकिंग पोज और चप्पल पहले पैर इस स्टैचू को बेस की तरफ काफी पतला बनाते हैं, जो दूसरी ऊंची मूर्तियों में अपनाए जाने वाले नियमों के खिलाफ है। पोज के कारण ही दोनों पैरों के पंजों के बीच 6.4 मीटर का गैप भी है, जिसे तेज हवाओं का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है। इतनी खासियत लिए इस अद्भुत प्रतिमा का डिजाइन जानेमाने मूर्तिकार राम सुतार ने किया है। उनकी वर्कशॉप नोएडा में है। सुतार और उनके बेटे ने वर्कशॉप में सरदार पटेल के तीन छोटे क्ले मॉडल- 3 फीट, 18 फीट और 30 फीट ऊंचे बनाए। इन तीन मॉडलों में सबसे ऊंचे को चुना गया और 3डी इमेजिंग के जरिए बड़ा किया गया। फिर इसे कांसे में तैयार किया गया। 93 साल के सुतार महात्मा गांधी की मूर्तियां बनाने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। भारत ही नहीं उनकी बनाई प्रतिमाएं रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और इटली में भी लगाई गई हैं। स्टैचू की पकड़ को मजबूत करने के लिए हर पैर में 250 टन के मास डैंपर्स का इस्तेमाल किया गया है।
पांच जोन में बटा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
जोन 1- इसमें एक मेमोरियल गार्डन और विशाल म्यूजियम होगा।
जोन 2- दूसरा हिस्सा प्रतिमा की थाई तक का है।
जोन 3- इस हिस्से में गैलरी होगी, जहां 200 लोग एक बार में सरदार सरोवर बांध को निहार सकेंगे।
जोन 4- मेंटेनेस एरिया में मूर्ति के कंधे के नीचे का हिस्सा आता है।
जोन 5- इस जोन में सिर और कंधे का हिस्सा शामिल है, जहां तक विजिटर्स नहीं पहुंच सकते हैं।
कुछ ऐसे बने आयरन मैन सरदार
- 5700 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया।
- 22500 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया।
- 18500 टन रॉड जिसमें 18.5 लाख किग्रा कांस्य का लेप।
- करीब 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई मूर्ति
- मूर्ति में लिफ्ट से 153 मीटर की ऊंचाई तक जा सकते हैं।
- यह मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ज्यादा ऊंची है।