संसद में राफेल पर रिपोर्ट आने से पहले कांग्रेस ने सीएजी पर लगाया हितों के टकराव का आरोप
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने अब कैग रिपोर्ट को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने रविवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) राजीव महर्षि से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग करने की मांग की। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सीएजी पर कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, चूंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह इस वार्ता का हिस्सा थे इसलिए उन्हें ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेना चाहिए। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि महर्षि द्वारा संसद में राफेल पर रिपोर्ट पेश करना अनुचित होगा। मालूम हो कि सोमवार को संसद में विवादित राफेल सौदे पर सीएजी रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है।
कांग्रेस के आरोप झूठ के आधार पर : अरुण जेटली
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सीएजी पर हितों के टकराव संबंधी कांग्रेस के आरोपों को 'झूठ पर आधारित' बता खारिज किया है। जेटली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस 'झूठ के आधार' पर अब सीएजी जैसी संस्था पर कलंक लगा रही है। उन्होंने ट्वीट किया, 'संस्थाओं को नष्ट करने वालों का अब झूठ के आधार पर सीएजी की संस्था पर एक और हमला। सरकार में 10 साल रहने के बाद भी यूपीए के पूर्व मंत्रियों को यह नहीं पता है कि वित्त सचिव सिर्फ एक पद है जो वित्त मंत्रालय में वरिष्ठतम सचिव को दिया जाता है। सचिव (इकनॉमिक अफेयर्स) का रक्षा मंत्रालय की खर्च से जुड़ी फाइलों में कोई भूमिका नहीं होती। रक्षा मंत्रालय की फाइलों को सेक्रटरी (एक्सपेंडिचर) देखते हैं।
कांग्रेस ने बयान जारी कर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद में राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है। सीएजी का संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्य है कि वह राफेल करार सहित सभी रक्षा अनुबंधों का फॉरेंसिक ऑडिट करे। पार्टी ने कहा, स्पष्ट तौर पर हितों के टकराव के कारण आपके द्वारा राफेल करार का ऑडिट करना सरासर अनुचित है। संवैधानिक, कानूनी और नैतिक तौर पर आप ऑडिट करने या संसद के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के योग्य नहीं हैं। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप खुद को इससे अलग करें और सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करें कि ऑडिट शुरू कर आपने अनुचित काम किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को बताया कि राजीव महर्षि सोमवार को संसद में राफेल करार पर रिपोर्ट पेश कर सकते हैं। महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे और इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की। सिब्बल ने कहा, वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है। अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ। अब वह सीएजी के पद पर हैं। हमने 19 सितंबर 2018 और 4 अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की थी। हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया था। हमने उन्हें बताया था कि इस करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ। लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?’
सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस ने सीएजी के सामने पेश की गई दलीलों में बताया था कि राफेल करार में कहां-कहां अनियमितताएं हुई हैं और इसमें कैसे भ्रष्टाचार हुआ है। निश्चित तौर पर वह वित्त सचिव के तौर पर लिए गए फैसलों की जांच नहीं कर सकते। वह पहले खुद को और फिर अपनी सरकार को बचाएंगे। इससे बड़ा हितों का टकराव तो कुछ हो ही नहीं सकता।