'शाह-जादा' की अपार सफलता के बाद BJP की नई पेशकश 'अजित शौर्य गाथा' पर राहुल अटैक
सत्ता विमर्श डेस्क
नई दिल्ली : न्यूज वेबसाइट द वायर के खुलासे के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है। अब राहुल गांधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल को लेकर तंज कसा है। राहुल ने इस संबंध में शनिवार सुबह एक ट्वीट किया। इस ट्वीट के साथ उन्होंने वेबसाइट की खबर भी शेयर की है, जिसमें अजित डोवाल के बेटे को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं।
राहुल गांधी ने खबर शेयर करते हुए अपने ट्वीट में लिखा है, 'शाह-जादा की 'अपार सफलता' के बाद भाजपा की नई पेशकश- अजित शौर्य गाथा'। दरअसल, राहुल गांधी ने जिस खबर को शेयर किया है, उसमें एनएसए अजित डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल की संस्था 'इंडिया फाउंडेशन' में मोदी सरकार के चार-चार मंत्रियों के शामिल होने और फाउंडेशन को देशी-विदेशी कंपनियों से लाभ मिलने का दावा किया गया है।
वेबसाइट ने अपनी खबर में दावा किया है कि शौर्य डोभाल की संस्था इंडिया फाउंडेशन 2014 से पहले तक केरल में जबरन धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ग्राफिक्स डिजाइन का काम करती थी। ये संस्था 2009 से काम कर रही है, मगर 2014 के बाद संस्थान की गतिविधियों में अप्रत्याशित तेजी आई और इसने जबरदस्त तरक्की की है। 2014 के बाद संस्थान के ग्राफ में आई वृद्धि को लेकर वेबसाइट की खबर में सवाल उठाए गए हैं।
जानिए! इंडिया फाउंडेशन संस्था उसके कामकाज के बारे में?
द वायर की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो इंडिया फाउंडेशन संस्था देश का सबसे प्रभावशाली थिंक टैंक है, जो देशी-विदेशी उदोयगपतियों और कॉरपोरेट घरानों को ऐसे मंच उपलब्ध कराता है जहां देश-दुनिया के उद्योगपति केंद्रीय मंत्रियों और आला अफसरों से मिलते-जुलते हैं तथा सरकारी नीतियों की बारीकियों पर चर्चा करते हैं। इंडिया फाउंडेशन के अपारदर्शी वित्तीय लेन, वरिष्ठ मंत्रियों का इस संगठन का निदेशक होना कई तरह के सवाल खड़े करता है, क्योंकि संगठन के कार्यकारी निदेशक शौर्य डोभाल का खुद एक ऐसी वित्तीय संस्था जेमिनी फायनेंशियल सर्विसेस नाम की फर्म चलाते हैं, जिसका काम एशियाई और दूसरे देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच लेनदेन को अंजाम देना है। ऐसे में इससे हितों के टकराव और लाबिंग का मामला साफ नजर आता है। यह वही वादा है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से किया था कि सत्ता के गलियारों से वे दलालों की छुट्टी कर देंगे। शौर्य डोभाल राजनीतिक रूप से बेहद प्रभावशाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के पुत्र हैं।
इंडिया फाउंडेशन जाहिर तौर पर शौर्य डोभाल और संघ से भाजपा में आए राष्ट्रीय महासचिव राम माधव चलाते हैं। लेकिन इसके निदेशक मंडल में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु के अलावा नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा और विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर शामिल हैं। चार महत्वपूर्ण मंत्रियों, संघ परिवार से आए ताकतवर भाजपा नेता और पीएमओ में प्रभाव रखने वाले अजित डोभाल का बिजनेसमैन बेटा जिस संस्था को चलाते हों, उससे उचित और ताकतवर थिंक टैंक और क्या हो सकता है। इस संस्था ने अब तक जितने भी कार्यक्रम किए हैं, उनमें महत्वपूर्ण नीति निर्धारकों की मौजूदगी रही है, जिसके चलते ये सारे कार्यक्रम जबरदस्त तरीके से कामयाब ही नहीं हुए, बल्कि सरकार और देशी-विदेशी कंपनियों ने इन्हें प्रायोजित भी किया। इस संस्था की कामयाबी का राज इसमें शामिल यही 6 महत्वपूर्ण चेहरे हैं और यही इस संस्था की समस्या भी हैं, क्योंकि इससे सीधे-सीधे हितों के टकराव का मामला सामने आता है क्योंकि देशी-विदेशी कंपनियां इस संस्थान के कार्यक्रमों में सहयोग कर, सरकार से अपनी मनमर्जी से काम ले सकती हैं या उन नीतियों में बदलाव करा सकती हैं जिससे उनका कारोबार प्रभावित होता हो।
चूंकि यह संस्थान एक ट्रस्ट चलाता है, इसलिए कानूनी तौर पर उसे अपनी बैलेंसशीट सार्वजनिक करना जरूरी नहीं है। इसके अलावा इसके निदेशक मंडल में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद इस संस्थान ने अपने वित्तीय लेनदेन या राजस्व के स्रोत बताने से इनकार कर दिया। द वायर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस रिपोर्ट को तैयार करते समय इस संस्थान से जुड़े सभी छह लोगों को एक पत्र भेजकर कुछ सवालों के जवाब मांगे गए थे, लेकिन मंत्रियों ने उस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया, जबकि राम माधव ने वादा किया कि इस सिलसिले में ‘कोई उचित व्यक्ति’ इन सवालों के जवाब देगा। लेकिन उस उचित व्यक्ति का जवाब भी नहीं आया। हां, शौर्य डोभाल ने राजस्व के स्रोतों के बारे में जरूर कहा कि, कांफ्रेंस, विज्ञापन और जर्नल। शौर्य डोवाल ने यह नहीं बताया कि किन कंपनियों से यह राजस्व मिलता है और न ही यह बताया कि एक ट्रस्ट की तरह रजिस्टर्ड इंडिया फाउंडेशन अपने रोजमर्रा के काम कैसे करता है, राजधानी के लुटियन जोन में हेली रोड जैसे पॉश इलाके में जगह का किराया कैसे देता है और अपने कर्मचारियों को वेतन कैसे और कहां से देता है।
द वायर ने लिखा है कि शौर्य डोभाल से इसी तरह के सवाल 2015 में इकोनॉमिक टाइम्स ने भी किए थे, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था, हम प्रायोजक लाते हैं और दूसरे स्रोतों से मदद लेते हैं। यह तभी होता है जब हम कार्यक्रम या सेमिनार करने वाले होते हैं। हम अलग-अलग हिस्सेदारों के साथ साझेदारी करते हैं। हम अपना काम करते हैं और वे अपना। द वायर का कहना है कि इंडिया फाउंडेशन ने जो कार्यक्रम किए हैं उनमें से एक कार्यक्रम था, स्मार्ट बॉर्डर मैनेजमेंट। इस कार्यक्रम के प्रायोजकों के नाम कार्यक्रम के दौरान मंच और कार्यक्रम स्थल पर साफ देखे जा सकते थे। इन कार्यक्रमों के फोटो में भी ये नजर आते हैं। इन प्रायोजकों में बोईंग जैसी विदेशी विमानन कंपनी और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली इजरायली कंपनी मागल के नाम हैं। इसके अलावा डीबीएस बैंक और कई अन्य प्राइवेट कंपनियां भी इस कार्यक्रम के प्रायोजकों में शामिल थीं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इन कंपनियों के प्रायोजन की स्थिति या फिर शर्ते क्या थीं और उन्होंने इस प्रायोजन के कितने और किसे पैसे दिए।
द वायर के मुताबिक, यूं तो इंडिया फाउंडेशन अधिकारिक तौर पर कहता है कि वे एक स्वतंत्र रिसर्च केंद्र हैं जिसका कार्यक्षेत्र भारतीय राजनीति के मुद्दों, चुनौतियों और अवसरों का अध्ययन करना है। लेकिन, एक वीडियो इंटरव्यू में शौर्य डोवाल ने खुद ही स्वीकार किया है कि इंडिया फाउंडेशन नीति निर्धारण के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर भाजपा और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करता है। यह इंटरव्यू जेमिनी फायनेंशियल सर्विसेस की वेबसाइट पर उपल्बध है, जिससे पता चलता है कि पारदर्शिता यहां एकदम निरर्थक है। डोभाल इसके पहले ज़ियस कैपिटल नाम की कंपनी चलाते थे, जिसे उन्होंने 2016 में जेमिनी फाइनेंशियल सर्विसेस में विलय कर दिया। जेमिनी फाइनेंशियल सर्विसेस के चेयरमैन सऊदी अरब के सत्तारुढ़ शाही परिवार के सदस्य और दिवंगत किंग अब्दुल्ला के बेटे प्रिंस मिशल बिन अब्दुल्ला बिन तुर्की बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-सऊद हैं।
द वायर ने रिपोर्ट में लिखा है कि जब उन्होंने शौर्य से यह सवाल पूछा कि उनकी कंपनी में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी से क्या हितों को टकराव का मामला नहीं बनता, तो शौर्य का जवाब था: इसका कोई सवाल ही नहीं। इंडिया फाउंडेशन न तो खुद और न ही किसी के लिए कोई भी ऐसा ट्रांजैक्शन या लेनदेन नहीं करता। इंडिया फाउंडेशन के चार्टर में लाबिंग या इस किस्म की कोई और गतिविधि करना शामिल नहीं है। द वायर का दावा कि इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से भी सवाल पूछा था लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला।