मोदी से डरी कांग्रेस, राहुल नहीं होंगे पीएम कैंडिडेट
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से डरी कांग्रेस ने राहुल गांधी को घोषित तौर पर कांग्रेस का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से इनकार कर दिया है। पार्टी की परंपरा का हवाला देते हुए कांग्रेस ने साफ किया कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की कमान संभालेंगे। गुरुवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इसका निर्णय किया गया।
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की गुरुवार को हुई बैठक में आम सहमति के बावजूद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस की परंपरा के नाम पर प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह कहकर पार्टी नेताओं की राय को खारिज कर दिया कि चुनाव के पहले प्रत्याशी घोषित करना पार्टी की परंपरा में नहीं है। एआईसीसी के सम्मेलन की पूर्व संध्या पर कांग्रेस की नीति निर्धारित करने वाली शीर्ष इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्लूसी) की यहां हुई महत्वपूर्ण विस्तारित बैठक में यह निर्णय लिया गया।
केरल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश चेन्नीतला ने राहुल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग रखी जिसका बीके हरी प्रसाद, गुरुदास कामत, गुलाम नबी आजाद और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष राजीव सताव जैसे नेताओं ने तत्काल समर्थन किया। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक शुरू होने के तुरंत बाद चेन्नीतला ने राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार घोषित किये जाने की जोरदार मांग की और कहा कि ऐसा करने का समय अब आ गया है। इससे युवाओं में उत्साह बनेगा और बदली परिस्थितियों में इससे कांग्रेस को फायदा होगा। जब कई अन्य नेताओं ने भी इसी तरह की मांग उठायी तो कांग्रेस अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पार्टी को चुनाव से पहले पीएम उम्मीदवार क्यों घोषित करना चाहिए जबकि ऐसी कोई परंपरा नहीं है।
कार्य समिति ने मसौदा प्रस्ताव में इस पंक्ति को शामिल किया है जो कल मंजूरी के लिए एआईसीसी की बैठक के समक्ष रखा जाएगा कि ‘एआईसीसी की यह बैठक घोषणा करती है कि 2014 के चुनाव प्रचार का नेतृत्व राहुल गांधी करेंगे।’ राहुल गांधी को एक साल पहले जयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में पार्टी के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी और अब ठीक एक साल बाद उन्हें प्रचार अभियान की कमान सौंपी जाएगी।
नरेन्द्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने के लिए भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि कांग्रेस में जवाहरलाल नेहरू के जमाने से लेकर सोनिया गांधी की अगुवाई में लड़े गये 2004 के चुनावों तक कभी भी किसी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का सवाल नहीं उठा है।
उन्होंने कहा, ‘यह हमेशा से स्पष्ट रहा है कि कांग्रेस में नेता कौन है। यह हमारे लिए कभी कोई मुद्दा नहीं रहा। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि यह उन पार्टियों के लिए मुद्दा है जिनमें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को लेकर तगड़ी प्रतिस्पर्धा और खींचतान है। राहुल ने कहा, मैं पार्टी का एक समर्पित कार्यकर्ता हूं। पार्टी जो भी जिम्मेवारी मुझे देगी, मैं उसे निभाऊंगा। द्विवेदी ने इस अवधारणा को खारिज करने का प्रयास किया कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी की अगुवाई में भाजपा के बढ़त लेने और कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की आशंका के चलते अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने से हिचक रही है।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की कोई परंपरा नहीं रही है। यह जरूरी नहीं है कि अन्य दलों ने यदि ऐसा किया है तो हम भी अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करें। कांग्रेस में हमेशा से यह स्पष्ट रहा है कि कौन नेता है और कौन सरकार की अगुवाई करेगा।’ द्विवेदी ने कहा, ‘यदि चुनाव प्रचार उनकी अगुवाई में हो रहा है तो एक प्रकार से भविष्य का नेतृत्व भी उनके हाथों में है।’ राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने के फैसले की सराहना करते हुए वरिष्ठ पार्टी नेता एम एल फोतेदार ने कहा कि यह एकदम सही फैसला था क्योंकि अंतत: अगले प्रधानमंत्री की घोषणा लोकसभा चुनाव के बाद संसद सदस्यों द्वारा की जाएगी।
बैठक में पार्टी महासचिव बीके हरि प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा अधिक आक्रामक तरीके से उठाने की जरूरत है क्योंकि राहुल गांधी अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान के लिए जाने जाते हैं। राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से धर्मनिरपेक्ष ताकतों का विश्वास मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में विकास का नारा काम नहीं करेगा और 2014 के लोकसभा चुनाव महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे की विचारधारा के बीच मुकाबले के रूप में होंगे। केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब विपक्षी पार्टी ने एक चेहरा पेश किया है तो कांग्रेस को भी ऐसा करना चाहिए।
सोनिया गांधी ने अपने समापन भाषण में कहा, ‘उतार चढ़ाव एक राजनीतिक पार्टी के जीवन का हिस्सा होते हैं और हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों से निराश होने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव मजबूती से लड़ना चाहिए।'