बिजनेस रेटिंग पर राहुल बोले- खुश रखने को ख्याल अच्छा है Dr. Jaitley
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: भारत की बिजनेस रेटिंग सुधर गई है। पिछले काफी दिनों से लगातार गिरती रेटिंग ने सरकार की सांसें फुला रखीं थीं। विपक्ष भी कटाक्ष करने से पिछड़ नहीं रहा था। अब हालात सुधरे हैं तो केन्द्रीय वित्त मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक सरकार की कोशिशों की प्रशंसा कर रहें हैं। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर भी ट्विटर के जरिए चुटकी ली है। दोनों तरह की प्रतिक्रियायें अपेक्षित थीं।
सबको मालूम है “ease of doing business” की हकीकत, लेकिन
ख़ुद को खुश रखने के लिए "Dr Jaitley" ये ख्याल अच्छा है— Office of RG (@OfficeOfRG) November 1, 2017
दरअसल विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत ने लंबी छलांग मारी है। व्यापार सुगमता के मामले में भारत 130 की रैंकिंग से निकलकर 100वें पायदान पर पहुंच गया है। इसे लेकर ही सरकार जहां रिलैक्स्ड मूड में दिख रही है वहीं राहुल गांधी ने चुटकी ली है। उन्होंने ट्विट किया है- सबको मालूम है “ease of doing business” की हकीकत, लेकिन ख़ुद को खुश रखने के लिए "Dr Jaitley" ये ख्याल अच्छा है।
विश्व बैंक की व्यापार सुगमता की इस रैकिंग में फिलहाल नोटबंदी और जीएसटी को शामिल ही नहीं किया गया है। इस बार रैंकिंग के लिए जो मानक तय किए गए थे। उसमें जीएसटी के असर को नहीं आंका गया है। दरअसल विश्व बैंक की इस रिपोर्ट को 1 जून, 2017 तक के रिफॉर्म और नीतियों के आधार पर तैयार किया गया है। जीएसटी 1 जुलाई से लागू किया गया है। इस वजह से रैंकिंग सुधार में जीएसटी की भूमिका इस साल नहीं दिखाई दी है।
हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो अगले साल जीएसटी व्यापार सुगमता में भारत की रैकिंग सुधारने का सबसे बड़ा सुधार साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बैंक, विश्व बैंक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने जीएसटी पर भरोसा जताया है।
जीएसटी को लेकर इन संस्थाओं ने भले ही जीएसटी को विकास की रफ्तार रोकने वाला करार दिया है, लेकिन उसके साथ ही उन्होंने आगे इसे इकोनॉमी को लंबी अवधि में सहारा देने वाला भी बताया है।
मोदी सरकार ने पहला सबसे बड़ा रिफॉर्म नोटबंदी किया था। विश्व बैंक ने इसको भी अपनी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया है। दरअसल ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग तय करने के लिए जो मानक अथवा पैरामीटर तय किए गए थे। उसमें नोटबंदी के लिए कहीं जगह ही नहीं बनती।
विश्व बैंक के मुताबिक व्यापार सुगमता के मामले में रैंकिंग तय करने के लिए 11 पैरामीटर्स तय किए गए थे। इन पैरामीटर्स के आधार पर ही रैंकिंग दी गई है। जिसमें बिजनेस शुरुआत करने का माहौल, कंस्ट्रक्शन परमिट में सुगमता, देश में बिजली का दायरा, प्रॉपर्टी रजिस्टर करने में कितनी सुगमता है, कर्ज लेना कितना जटिल या आसान है जैसे तत्व शामिल हैं।
वहीं विशेषज्ञों की राय ये भी है कि कई पैरामीटर्स पर भारत को खुद को अभी भी संभालने की जरूरत है। जमीनी हकीकत सच्चाई से परे है। मसलन भारत में अगर बिजनेस शुरू करना हो तो पिछले साल के मुकाबले रैंकिंग एक पायदान नीचे गिरे है। पहले ये 155 थी तो अब 156 है। वहीं सीमा पार ट्रेडिंग की बात करें तो भारत तीन पायदान नीचे खिसका है पहले 143 था और अब 146 पर है। भारत संपत्ति के पंजीकरण और कॉन्ट्रैक्ट लागू करने वाले पैमानों पर भी खरा नहीं उतरा। सवाल यही है कि आखिर इतने प्रयत्न के बाद स्थिति बेहतर क्यों नहीं हुई है। नए निवेश क्यों नहीं हो रहें हैं? तो जानकारों का जवाब है क्यों अभी भी हम लैंड और लेबर रिफॉर्म्स में काफी पीछे हैं- जब तक इस क्षेत्र में कुछ नहीं किया जाएगा तब तक हालात बेहतर नहीं होंगे।