जेडीयू के बागी नेता शरद और अनवर ने गंवाई राज्यसभा की सदस्यता
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : आखिरकार जनता दल यू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। लंबी सुनवाई और दस्तावेजी तहकीकात के बाद राज्यसभा के सभापति सह उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। उन्होंने माना कि दोनों ने संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन किया। जेडीयू के बागी कैंप के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है। चुनाव आयोग नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू को पहले ही असली जेडीयू बता चुका है।
शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने के बाद कहा कि उन्हें लोकतंत्र की खातिर बोलने की सजा मिली है। शरद यादव ने ट्वीट किया, मुझे राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। बिहार में राजग को हराने के लिए बने महागठबंधन को 18 महीने में ही सत्ता में बने रहने के मकसद से राजग में शामिल होने के लिए तोड़ दिया गया। अगर इस अलोकतांत्रिक तरीके के खिलाफ बोलना मेरी भूल है तो लोकतंत्र को बचाने के लिए मेरी ये लड़ाई जारी रहेगी।
मालूम हो कि राज्यसभा के सभापति ने जेडीयू से राज्यसभा सदस्य शरद यादव और अली अनवर को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया है। राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता आर.सी.पी. सिंह ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण यादव और अनवर की सदस्यता रद्द करने की सभापति से अनुशंसा की थी। सभापति ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सोमवार देर शाम यह फैसला दिया है।
शरद गुट के नेता जावेद रजा ने कहा कि उन्हें सोमवार देर रात इस फैसले की प्रति मिली है। इसके कानूनी पहलुओं पर आज विशेषज्ञों से विचार विमर्श कर आगे की रणनीति तय की जाएगी। तीन महीने पहले 2 सितंबर को राज्यसभा में जेडीयू नेता आर.सी.पी.सिंह ने सभापति को आवेदन देकर दोनों नेताओं की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। तर्क था कि दोनों ने स्वेच्छा से दल का परित्याग कर दिया है। इधर, शरद कैंप के नेता अरुण श्रीवास्तव ने कहा- सभापति ने केंद्र के दबाव में फैसला लिया। सोमवार देर रात करीब 10.00 बजे शरद यादव की पत्नी को जगाकर फैसले की कॉपी दी गई।
फैसले के बाद जेडीयू नेताओं ने शरद-अनवर पर तीखा हमला भी किया। सांसद आर.सी.पी.सिंह ने कहा- फैसले से ऐसे लोगों को कड़ा सबक मिलेगा। प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि यह साबित हो गया कि कैसे शरद ने जिंदगी की जमा पूंजी गंवा दी। संजय झा ने कहा कि इससे पार्टी की सर्वोच्चता तय हुई है।