सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार- रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर एक हलफनामा दाखिल किया है। इसमें माना है कि रोहिंग्या समुदाय के लोग देश के लिए खतरा हैं। केन्द्र ने कहा है कि उनके पास जानकारी है कि कई रोहिंग्या गैर कानूनी क्रिया कलापों में शामिल रहें हैं और हवाला के जरिए पैसों के लेन देन में शामिल हैं। वहीं सर्वोच्च ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 3 अक्टूबर का दिन निश्चित किया है।
16 पन्नों के इस हलफनामे में गृहमंत्रालय ने माना है कि कुछ रोहिंग्या आईएसआईएस से भी जुड़े हैं। कहा है कि उनके पास सुरक्षा एजेंसियों के ऐसे कई इनपुट हैं जिनसे पता चलता है कि इनके तार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर जहां बांग्लादेश, थाइलैंड समेत निकटवर्ती देशों के लिए संकट खड़ा हो गया है, वहीं इंटेलीजेंस एजेंसी ने चेतावनी दी है कि म्यांमार से खदेड़े गए रोहिंग्या शरणार्थी पेशवेर तस्करों की मदद से समुंद्र के रास्ते भारत में घुसपैठ कर सकते हैं। बता दें कि म्यांमार के रखाइन में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया जा रहा है, जिसके चलते ये लोग निकटवर्ती देशों में शरण लेने को मजबूर हैं, वहीं भारत सरकार इसका विरोध कर रही है।
जानकारी के मुताबिक म्यांमार में जारी सैन्य संघर्ष के बाद वहां से लगभग 6 लाख रोहिंग्या समुदाय के लोग पलायन कर गए हैं। इनमें से 4 लाख लोग अकेले बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं, जबकि शेष लोग अन्य सीमांत देशों के आसपास जुटे हैं। भारत भी भारी मात्रा में हुए पलायन से प्रभावित हुआ है। 40 हजार रोहिंग्या असम, पश्चिम बंगाल, जम्मू, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कैंप में रह रहे हैं। रोहिंग्या बंगाल जैसे क्षेत्रों में घुसपैठ करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। वरिष्ठ इंटेलीजेंस अधिकारियों ने मीडिया को बताया पेशेवर तस्कर ज्यादातर समुद्र के रास्ते म्यांमार से बंग्लादेश आते हैं। अधिकारियों के मुताबिक संबंधित सभी सुरक्षा एजेंसियां इस तरह के किसी भी प्रयास से बचाव के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि पेशेवर तस्कर अपने पुराने अनुभव के आधार पर रोहिंग्या परिवारों को बड़ी नाव और हाई स्पीड राफ्ट्स की मदद से भगाने का प्रयास कर सकते हैं।
इंटेलीजेंस सूत्रों के मुताबिक ये तस्कर और रोहिंग्या बंगाल जाना चाहते हैं, बंगाल सरकार ने उनके प्रति सहानुभूति जताई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ना केवल म्यांमार के शरणार्थियों को शरण देने की घोषणा कर चुकी हैं, बल्कि उन्होंने केन्द्र से भी मदद मुहैया कराने की बात कही है। वहीं एजेंसी म्यांमार के दक्षिणी छोर पर भी नजर बनाए हुए हैं जहां रोहिंग्या अंडमान निकोबार द्वीप में घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं। बीएसएफ और असम राइफल्स ने भी रोहिंग्या की आबादी को बढ़ने से रोकने के लिए म्यांमार बॉर्डर पर गश्त बढ़ा दी है।
गौरतलब है कि रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है। याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के उस फैसले पर रोक लगाए जिसमें वो रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने का फैसला लिया गया है। दरअसल, यह याचिका वकील रोशन तारा जायसवाल, ज़ेबा ख़ैर और के जी गोपालकृष्णन की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर उन्हें वापस म्यांमार भेजा जाता है तो उनका उत्पीड़न किये जाने का खतरा है।