संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पीएम मोदी के लिए गाया 'यशोगान'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नागपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक से गदगद सरसंघचालक मोहन भागवत ने आज मोदी का यशोगान करते हुए देश का यशस्वी प्रधानमंत्री बताया और कहा कि कश्मीर तो भारत का अभिन्न अंग है ही, मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित बाल्टिस्तिान भी भारत का ही हिस्सा है। कश्मीर पर सरकार के रूख की तारीफ करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि जो बातें कहीं जा रही हैं, उसे धरातल पर भी उतारा जाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर नागपुर के रेशम बाग में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कश्मीर में उपद्रवियों को उकसाने का काम सीमा पार से होता है। हमारी सरकार ने उनको अच्छा जवाब दिया है। इससे उपद्रवी को संकेत मिला है कि सहन करने की भी एक मर्यादा होती है। भागवत ने कहा कि लेह और लद्दाख जैसे कश्मीर के कई हिस्से उपद्रवियों से पूरी तरह मुक्त है। उपद्रव क्षेत्र में अशांति को खत्म करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा। राज्य और केंद्र की नीति में समन्वय की ज़रूरत है।
कश्मीर में सेना के काम की तारीफ करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, हमारी सेना ने जो काम किया है उससे भारत का मान बढ़ा है। हमारे सामरिक बल, सीमा रक्षक और सूचना तंत्र मजबूत होने चाहिए। किसी तरह की कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। उपद्रवियों से सख्ती से निपटना चाहिए। सीमा की चौकसी और मजबूत होनी चाहिए।
भागवत ने पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के कामकाज की तारीफ करते हुए कहा कि अभी देश में जो शासन चल रहा है वो काम करने वाला है। उदासीन रहने वाला नहीं है। अपेक्षाएं बहुत हैं लेकिन जिस ढंग से चल रहे हैं उससे लगता है कि देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी शक्तियां हैं जो भारत के प्रभाव को बढ़ता नहीं देखना चाहतीं। उनकी दुकान भेद, कट्टरवादिता पर चलती है और वो भारत को आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते।
देश के विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए भागवत ने कहा कि प्रजातंत्र में विरोधी दल अधिकतर शासन की कमियों को ही उजागर करते हुए अपनी बात कहते हैं, लेकिन ऐसा करते हुए सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। दलीय स्वार्थों के लिए भी एक मर्यादा का पालन हो। हमारी राजनीति से देश की एकता खतरे में ना पड़ जाए, विवादों के चलते जनता एक दूसरे के विरोधी ना बन जाए इसका ख्याल रखना होगा। देश का स्वार्थ सबसे ऊपर है।
भागवत ने गोरक्षा का कार्य करने वाले लोगों को समाज का भला नागरिक बताया। उन्होंने कहा कि गोरक्षकों के काम की तुलना उपद्रवियों से नहीं की जा सकती है। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि गोरक्षकों को कानून के दायरे में रहकर अपना काम करना चाहिए। ये कानून आज की सरकार ने नहीं बनाए हैं। राज्यों में गोरक्षा कानून हैं। राज्यों में पशुओं पर होने वाली क्रूरता रोकने के कानून हैं। निश्चित रूप से गोरक्षा का काम संविधान के दायरे में होनी चाहिए।
मोहन भागवत ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि, शिक्षा व्यवस्था ठीक करने की ज़रूरत है। शिक्षा का स्वरूप, उसका प्रयोजन स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि समाज जागरुक हो, प्रबुद्ध हो तो शासन की नीतियां सफल होती हैं। हमारा समाज विविध प्रकार का है। युगों से भारत विविधता में एकता का संकल्प लेकर चल रहा है। विदेशी कुप्रभावों से मुक्त होते हुए अपने विचारों के आधार पर युगानुकूल नीति का निर्माण करना चाहिए। अगर हम ऐसा कर सके तो सारी दुनिया को मार्ग दिखा सकेंगे।
इस मौके पर आरएसएस के स्वयंसेवक आज नए गणवेश (ड्रेस) में नज़र आए। संघ ने खाकी हाफ पैंट की जगह ऑलिव ब्राउन शेड की फुलपैंट को नया गणवेश बनाने की घोषणा की थी जिसे आज अमलीजामा पहना दिया गया। मालूम हो कि 1925 में नागपुर में विजयादशमी के दिन ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। कार्यक्रम में विशेष रूप से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे।