नोटबंदी को SC ने बताया गंभीर मसला, सरकार से पूछा- क्यों घटाई एक्सचेंज लिमिट?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के बाद आम लोगों को हो रही परेशानी पर अपनी फिक्र जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि कतारें गंभीर मसला है। इसके साथ ही कोर्ट ने केन्द्र की उस मांग को भी नकार दिया जिसमें उसने इस व्यवस्था के खिलाफ दूसरी निचली अदालतों में सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस ए आर दवे की खण्डपीठ ने इसे बेहद गंभीर मसला बताया। उन्होंने कहा कि इस पर त्वरित पुनर्विचार की आवश्यकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी-अपनी जानकारियों और अन्य मुद्दों को लिखित में दिए जाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा- कि कुछ जरूरी कदम उठाये जाने की जरूरत है। आप देखिए कि आम लोगों को इससे कितनी तकलीफ हो रही है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की थी कि नोटबंदी के खिलाफ अदालतों में दायर याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोग वास्तविक समस्याओं का सामना कर रहे हैं और हम उन्हें अदालत जाने से नहीं रोक सकते।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि नोटबंदी के खिलाफ देशभर की अलग-अलग अदालतों में दायर याचिकाओं को किसी एक हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए याचिका दाखिल करे। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने नोटबंदी के बाद लोगों की असुविधा को कम करने के लिए सरकार के उठाए गए कदमों की कोर्ट को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हालात की हर रोज उच्च स्तरीय समीक्षा की जा रही है और समस्याएं दूर की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कतारें छोटी हो रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान वादा किया था कि एक्सचेंज लिमिट को 4,500 से बढ़ाया जाएगा, लेकिन बढ़ाने के बजाय इसे घटाकर 2,000 रुपये कर दिया गया। कोर्ट ने पूछा कि ऐसा क्यों किया गया? क्या 100 के नोटों की भी कमी है। गौरतलब है कि गुरुवार को सरकार ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के बदलने की सीमा 4,500 रुपये से घटा दिया था। सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि 4,500 रुपये एक्सचेंज कराने की सुविधा का दुरुपयोग किया जा रहा था।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के बीच शब्दों के तीर भी चले। रोहतगी ने आरोप लगाया कि कपिल सिब्बल कोर्ट में हो रही सुनवाई का राजनीतिकरण कर रहे हैं। दूसरी तरफ सिब्बल ने कहा कि सरकार को सूझ ही नहीं रहा कि हालात से कैसे निपटा जाए, क्योंकि नोटबंदी के लिए जरूरी तैयारी नहीं की गई। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को है। सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल को अगली सुनवाई में अपने आरोपों के पक्ष में दस्तावेज पेश करने को कहा है।
क्या सरकार के पास दिमाग नहीं? : कोलकाता HC
कोलकाता हाईकोर्ट ने भी केन्द्र के फैसले को आम लोगों के लिए पीड़ादायक बताया है। कोर्ट में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के फैसले को लागू करते वक्त सरकार ने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल नहीं किया। सरकार रोज नए-नए फैसले ले रही है और अगले दिन उसे बदल दे रही है। फैसलों को ऐसे बदलना ठीक नहीं है। बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लाइनों से लोग परेशान हो रहे हैं।