एक दिन मैं भी पीएम के साथ लूंगा तस्वीर
हर्षवर्धन त्रिपाठी
द टेलीग्राफ अखबार की ये सवाल-जवाब वाली शानदार फोटो न्यूज नहीं देखी होती तो इस विषय पर मैं शायद ही कुछ लिखता। लेकिन इसको देखने के बाद मेरे मन में जो था वो लिखना जरूरी लगा। प्रधानमंत्री के साथ तस्वीर होना किसी के लिए भी बड़ी खुशी की वजह हो सकती है। उस लिहाज से सेल्फी लेना कोई गुनाह नहीं है। लेकिन, सेल्फी दौड़ मेरी दिक्कत की बड़ी वजह है। ये सच है कि मुझे भी कभी प्रधानमंत्री के साथ निजी मुलाकात का मौका मिलेगा, तो हो सकता है एक अच्छी सी तस्वीर उनके साथ खिंचवाऊं और उसे फेसबुक पर भी लगाऊं। लेकिन, इस तरह की सेल्फी दौड़ में न पहले कभी शामिल हुआ, न आगे होऊंगा।
पिछले साल की 'पीएम के साथ सेल्फी दौड़' पर भी मेरे यही विचार थे। लेकिन, उसके खारिज होने की एक वजह ये जायज रही कि मुझे तब आमंत्रण नहीं मिला था। लेकिन इस बार मैं पार्टी की तरफ से ससम्मान आमंत्रित था। और सेल्फी दौड़ तो छोड़िए, पीएम मोदी से मिलने की भीड़ में भी शामिल नहीं हुआ। हां, तारीफ करनी चाहिए भारतीय जनता पार्टी के मीडिया विभाग की जिसने इतने सलीके से दीपावली मंगल मिलन समारोह का आयोजन किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अलावा ढेर सारे मंत्री भी पत्रकारों से सहज भाव में मिल रहे थे।
मंच से संक्षिप्त संबोधन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह दोनों ही मंच से नीचे उतरकर पत्रकारों के बीच आए। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और मीडिया प्रभारी श्रीकांत शर्मा ने दो बार मंच से अपील भी की कि प्रधानमंत्री खुद पत्रकारों के बीच आ रहे हैं। लेकिन, लगातार की जा रही अपील अनसुनी हो गई। प्रधानमंत्री के नीचे उतरते ही जैसे सारे पत्रकार टूट पड़ने के लिए इंतजार कर रहे थे। इसीलिए टेलीग्राफ अखबार ने निश्चित तौर पर उमर अब्दुल्ला के सवाल को सवाल बनाकर जवाब सेल्फी लेने के लिए आतुर पत्रकारों के बीच घिरे मोदी की तस्वीर डालकर पत्रकारिता का शानदार उदाहरण पेश किया किया है।
मोदी के आने से पहले सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्री रविशंकर प्रसाद और वेंकैया नायडू सभी पत्रकारों से खुद जाकर मिले। दूसरे अन्य मंत्री भी घूम-घूमकर पत्रकारों से सहज भाव से मिल रहे थे। सत्तासीन पार्टी सहज भाव से मेजबान की भूमिका निभा रही थी। सरकार के मंत्री सुलभ थे। इसलिए टेलीग्राफ की हेडलाइन का जवाब पत्रकारों को ही खोजना होगा। सरकार या सत्तासीन पार्टी भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ऐसा कुछ नहीं किया गया। मुझे भी कभी प्रधानमंत्री के साथ निजी मुलाकात का मौका मिलेगा, तो हो सकता है कि एक अच्छी सी तस्वीर उनके साथ खिंचवाऊं और उसे फेसबुक पर भी लगाऊं। लेकिन, इस तरह की सेल्फी दौड़ में न पहले कभी शामिल हुआ, न आगे होऊंगा।