देश के कई राज्यों में साइलेंट डिमोनेटाइजेशन से मचा हड़ंकप, वित्त मंत्री ने दिया बढ़ती मांग का हवाला
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: विमुद्रीकरण की मार अब तक झेल रहे देश को अचानक आज कैश की किल्लत की खबर ने परेशान कर दिया है। देश के कई एटीएम कैश क्रंच यानी कैश की कमी से जूझ रहें हैं। इनके बाहर नो कैश का बोर्ड टांग दिया गया है। लोगों को 2000 और 500 रुपए के नोट मिल ही नहीं रहें हैं। भोपाल से लेकर वाराणसी तक लोग एक बार फिर लंबी कतार में दिख रहें हैं। इस बीच सरकार ने इसके लिए बढ़ती मांग को जिम्मेदार ठहराया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ राज्यों में पैदा हुई 'कैश की किल्लत' का कारण वहां 'अचानक कैश की मांग बढ़ना' बताया है। उन्होंने कहा कि देश में जरूरत से ज्यादा नोट सर्कुलेशन में हैं और बैंकों में भी पर्याप्त नोट उपलब्ध हैं। वित्त मंत्री ने ट्वीट कर बताया कि सरकार ने देश में करंसी के हालात की समीक्षा की है।
वित्त राज्यमंत्री एसपी शुक्ला के मुताबिक इस वक्त हमें 1,25,000 करोड़ रुपए की किल्लत है। किसी राज्य में कैश ज्यादा है तो कहीं कम है। सरकार और आरबीआई ने अपने स्तर पर कमेटी बनाकर काम शुरू कर दिया है। जेटली ने कई अधिकारियों के साथ मुलाकात कर इस मसले का हल निकालने की कोशिश शुरू कर दी है। अगल तीन दिनों में समाधान हो जाएगा।
दरअसल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में बीते कई सप्ताह से जारी कैश की किल्लत से उहापोह की स्थिति पैदा हो गई है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर नए नोट गए तो गए कहां? सवाल उठ रहा है कि क्या अब भी नोट कालेधन के कारोबारियों के कब्जे में चले गए हैं या रिजर्व बैंक ने ही नोटों की सप्लाई कम कर दी है?
आरबीआई ने किया ये-
सूत्रों के मुताबिक एटीएम में कैश की कमी की सबसे बड़ी वजह ये है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नोटों की सप्लाई कम कर दी है। सूत्रों के अनुसार, आरबीआई ने बैंकों के लिए कैश फ्लो 25 फीसदी तक कम कर दिया है और माना जा रहा है ये सब एक योजना के तहत है। इस वजह से भोपाल, इंदौर समेत देश के कई शहरों में एटीएम या तो खाली हैं, या उनके शटर डाउन हैं।
साजिश या कुप्रबंधन
कुछ दिन पहले कुछ राज्यों में शुरू हुई नोटों की कमी की समस्या पूर्वी महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में भी फैल गई। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयान बाजियों का दौर भी शुरू हो गया है। जहां एक तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके पीछे गहरी साजिश की आशंका व्यक्त की है वहीं कांग्रेस ने ट्विट कर पूछा है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? कुप्रबंधन या फिर कोई षड्यंत्र। कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार की विफलता करार दिया है। कहा है कि विमुद्रीकरण के डेढ़ साल बाद भी जनता भुगत रही है। ये दर्शाता है कि सरकार हर मोर्चे पर विफल हुई है।