'2002 के गुजरात दंगों की एसआईटी रिपोर्ट सफेद झूठ'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह (सेवानिवृत्त) ने कहा है कि गुजरात में वर्ष 2002 में कराए गए दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किए जाने के बावजूद सेना के वाहनों को प्रभावित इलाकों में जाने से एक दिन के लिए रोक दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि जो एसआईटी जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी, वह सफेद झूठ थी।
लेफ्टिनेट जनरल शाह शनिवार को अपनी किताब 'द सरकारी मुसलमान' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। किताब का विमोचन पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया। शाह ने कहा कि उन्होंने इस किताब में 'खरा सच' लिखा है और पूरा घटनाक्रम सेना की युद्ध डायरी से संकलित है। उन्होंने कहा, समय आने पर वो डायरी भी उपलब्ध करा दी जाएंगी। मैंने जो लिखा है वह 'खरा सच' है। इस संस्मरण का प्रकाशन कोणार्क प्रकाशन ने किया है। किताब में 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित उन अंशों को भी संकलित किया गया है, जिन पर पहले काफी विवाद हो चुका है।
दंगा को शांत करने के लिए पहुंची सेना का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेट जनरल शाह ने अपने संस्मण में लिखा है कि 1 मार्च, 2002 को सुबह सात बजे 3000 सैनिक दंगा प्रभावित इलाकों में जाने के लिए वायुसेना के विमानों से अहमदाबाद में उतरे, लेकिन राज्य सरकार से परिवहन व लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए पूरा एक दिन इंतजार करना पड़ा। सेना अगर तुरंत पहुंचकर हालात को नियंत्रण में ले लेती तो हजार से ज्यादा इंसानों की जान बच सकती थी।
बकौल, लेफ्टिनेंट जनरल शाह, 1 मार्च की सुबह से पहले दो बजे रात में ही उन्होंने अहमदाबाद में मौजूद तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडीज के समक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से सेना को प्रभावित इलाकों में भेजने का इंतजाम करने का अनुरोध किया था, उसके बावजूद देरी की गई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अशोक नारायण के कथन के आधार पर सेना बुलाने और तैनाती करने में कोई देर नहीं हुई।
लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट सफेद झूठ थी। इसी रिपोर्ट में गुजरात दंगों के मामले में मोदी को क्लीनचिट दे दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इन दर्दनाक दंगों से आहत होकर मोदी से कहा था, बहुत अफसोस की बात है, आपने राजधर्म नहीं निभाया। शाह ने कहा, कुछ दिनों पहले ही मुझे एसआईटी रिपोर्ट के बारे बताया गया। उससे पहले मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। जब रिपोर्ट में लिखी गई बातों के बारे में पता चला, तो मैं सन्न रह गया। मैं फिर कहता हूं कि यह रिपोर्ट सफेद झूठ है। जो सच्चाई है, वह मैंने अपनी किताब में बयां की है। मुझे नहीं लगता कि इन दंगों के बारे में कोई मुझसे बेहतर तरीके से बताने में सक्षम होगा।
शाह के अनुसार, एक दिन देरी से पहुंची सेना ने गुजरात दंगों के दौरान मचाए गए उत्पात को कठोर कार्रवाई कर महज 48 घंटे के भीतर (4 मार्च को) बंद कर दिया। अनियंत्रित हिंसा के लिए उन्होंने पुलिस के पक्षपाती और राजनीतिक रवैये को जिम्मेदार ठहराया। शाह ने किताब विमोचन के मौके पर कोई राजनीतिक बयान तो नहीं दिया, लेकिन उन्होंने सेना की तैनाती में देरी को प्रशासनिक विफलता बताई। पूर्व उपराष्ट्रपति ने अपने संक्षिप्त संबोधन में सवाल उठाया कि अगर प्रशासन कार्रवाई करने में विफल होता है तो इसके लिए जिम्मेदार किसे माना जाएगा?